दूर करें तम
तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान) ************************************************* अंतर्मन से दूर करें तम, खुशहाली का हो आगमन। चहुँओर उजियारा बरसे, कोई कहीं उदास न तरसे। देकर खुशियाँ ले ले ग़म, अंतर्मन से दूर करें तम॥ मुस्करा कर गले लगाएं, गिरे हुए को झुक के उठाएं। कोई ज़्यादा न कोई कम, अंतर्मन से दूर करें तम॥ आँख में कभी … Read more