कुल पृष्ठ दर्शन : 335

सावन

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
*************************************************
उमड़-घुमड़ जब आता सावन।
हृदयतल प्यास जगाता सावन।

गरजते बादल,चमकती बिजली,
पिया बिन नहीं,लुभाता सावन।

नाचे मोर,अरु पपीहा बोले,
राग मल्हार सुनाता सावन।

लहर-लहर लहराये लहरिया,
सावन याद दिलाता सावन।

बरसे जब ये घनघोर घटाएं,
विरह अगन भड़काता सावन।

सखियां झूले पिया संग झूला,
मनवा हूक उठाता सावन।

अब की बरस न प्रियतम आये,
प्रीत को देखो,जलाता सावन॥

परिचय-श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

Leave a Reply