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बंजारे-सी रातें

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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वक़्त के दामन से
कुछ लम्हें चुरा कर,
मैंने आज सोचा
चलो इन लम्हों में ढूँढते हैं
अपने खोये हुए दिन,
गुज़री हुई रातें।
वो बचपन की शरारतें
वो जवानी की हसीं बातें,
ज़िन्दगी की उलझनों में
न जाने कहाँ खो गए…।
कितनी जल्दी,
फ़िसल जाता है
रेत-सा वक़्त…
वक़्त की मुट्ठी से
अनजाने से दूर खड़े,
देखते रहे
गुज़रते वक़्त को।
भटक रहे हैं कुछ पल
ज़िन्दगी की राहों में,
मंजिल की तलाश में
न जाने क्यों आजकल,
यायावर से दिन हुए…
बंजारे-सी रातें मेरी॥

परिचय-श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

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