सूरज कैसा..

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’  गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** ऐ मुसाफिर जाग, ज़रा देख आज सूरज कैसा, सुर्ख रूतबा कहीं कहीं घने कोहरे में रुसवा, उड़ती धूल में कहीं धुंध जैसा॥ तल्ख़ तूफ़ान का कायल कहीं, कहीं गर्म हवाओं की हस्ती जैसा॥ सर्द बर्फ बादलों में दिन का उजाला, चाँदनी जैसा॥ देख ऐ मुसाफिर, आज सूरज मौसम अंदाज … Read more

खुशियों के बीज

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष…………… हरी-भरी वसुन्धरा को, देख कर मेरा वतन मुस्कुरा रहा है ऐसे, फूल का कोई चमन। हर जवान देखता है, सीना तानकर यहां आजाद,भगत,बोस ने, जन्म लिया हो जहां। जमीं है मेरे प्यार की, जमीं मेरे दुलार की महक ये बिखेरती, प्रेम,पावन,प्यार की। ये धरा … Read more

तेरा जाना

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* था यकीं तुमको कि हम तुमको भूल जाएँगे, हमको ये उम्मीद थी कि हम तुमको याद आएँगे…। सिलसिला कुछ यूँ हुआ कि बसर ज़िंदगी होती रही, जो फासला है दरमियाँ वो… कभी हम तय नहीं कर पाएँगे। गर सामना कभी हो गया तो सितम का सबब हम पूछेंगे, कह देगें सब … Read more

न आए तुम…

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’  गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** तमाम उम्र हाय तमाम उम्र, गुजार दी मैंने तेरे ही इंतज़ार में, ओये न आये तुम। ओये न आये तुम, लम्हों बहार में॥ ख्वाबों की हकीकत, के दस्तक से दिल में तेरे दिल में, मुहब्बत बिखेरता हर सुबह-शाम तेरे ही इंतज़ार में॥ तन्हा ज़िन्दगी के कोई शिकवा गिला नहीं, … Read more

कभी सोचा न था…

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* हर रिश्ते से बँधी थी पर कोई भी रिश्ता मेरा न था, रिश्तों में फासले तो थे पर वे इतने खौफनाक भी हो सकते हैं, कभी सोचा न था। हमसफर बनाया था जिसे, हमसफर तो था, पर साथी न बन सका। रहते थे इक मकां में पत्थर की तरह क्योंकि वो … Read more

आसमानी

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* चखना चाहती हूँ, नीले आसमाँ को। क्या वो भी होता होगा! सागर की तरह खारा। लहरें कभी मचलती होंगी वहाँ भी, चाँद के तट पर बैठकर, छूना चाहती हूँ लहरों को। कोई संगीत तो वहाँ भी, जरूर गुनगुनाता होगा। नर्म रेत पर कोई , अपने प्रेयस का नाम लिखता होगा। अपनी … Read more

मुलाकात

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’  गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** ख्वाबों ख्वाहिशों आरजू की मुलाक़ात, खामोश जुबां उम्मीद की कशमकश का लम्हा। तकदीर की कशिश, लफ़्ज़ों अन्दाज़ की बात॥ सवाल-जवाब इजहार अरमान की तल्खी, बा-वफा खौफ से घायल॥ कभी सुकूं के आसमाँ में बादल से हालात, फासले जज्बात हौंसले, मकसदों के पैगाम के कायल। सूरज शाम के, आगोश की … Read more

बदलते रंग-रामभरोसे के संग

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* आज वर्तमान परिवेश में व्यक्ति के जीवन में रंगों की अहमियत बढ़ती ही जा रही है,फिर वह होली के रंग हों,मुस्कानों के रंग हों,या आध्यात्म के रंग,बस रंगों का होना ही जीवन की सार्थकता को सही मुकाम देता है। फिर भी नित्य नए रंग बदलती इस बहुरंगी दुनिया में … Read more

प्यार लाया हूँ

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’  गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** जमाने की दुआओं का तोहफा साथ लाया हूँ, कोई रंजो-रश्को गम नहीं, दुनिया का प्यार लाया हूँ। गुजरे वक्त में, दर्द दिल को खुशियाँ हज़ार लाया हूँ। मैं तो जिन्दगी की मंजिलों की उड़ान हूँ, मुश्किल जिन्दगी के दौर के जालिम जमाने में, जिन्दगी का नया अंदाज लाया हूँ। … Read more

तू ही सृष्टि

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष………………… तू ही धरा,तू सर्वथा, तू बेटी है,तू ही आस्था। तू नारी है,मन की व्यथा, तू परम्परा,तू ही प्रथा। तुझसे ही तेरे तप से ही रहता सदा यहां अमन, तेरे ही प्रेमाश्रुओं की शक्ति करती वसु को चमन। तेरे सत्व की कथाओं को,करते यहाँ सब नमन, फिर … Read more