बच्चे फरमाइशों के

मयंक वर्मा ‘निमिशाम्’  गाजियाबाद(उत्तर प्रदेश) ******************************************************************* क्यों बेकार में लड़ती हो ? क्यों नाहक झगड़ती हो ? वो खेलने भी चले गए, तुम अब तक अकड़ती हो। मेरे-तुम्हारे के खेल में, क्यों अपना खून जलाती हो। बच्चों की बात में, क्यों खुद बच्ची बन जाती हो। न मेरे,न तुम्हारे और न हमारी ख्वाहिशों के, ये … Read more

कहाँ हो तुम

अंतुलता वर्मा ‘अन्नू’  भोपाल (मध्यप्रदेश) ************************************************************ कहाँ हो तुम…! मुझे यूँ अकेला छोड़ कर, मेरा तन्हाई से नाता जोड़ कर कि दिल ये उदास है, मन भी बेचैन है। कहाँ हो तुम…! कि तुम्हारे बिना शोर में भी, छाया ये सन्नाटा है… कि दिन-रात पहाड़ से लगते हैं, साँस लेना भी दुश्वार लगती है। कहाँ … Read more

‘कोरोना’ से जंग जीतेंगे

विनोद वर्मा आज़ाद देपालपुर (मध्य प्रदेश)  ************************************************ मुझसे, मित्र ने पूछा ? कैसे हो आप..? और, क्या चल रहा है ? मैंने कहा- बहुत बढ़िया, खूब खाना आराम, योग टी.वी. मोबाइल और फॉग, सभी चल रहा है। बच्चों, बेटे-बहुओं के बीच आराम, कोई तनाव नहीं, पूर्ण विश्राम॥ ताला बंदी की बयार चल रही है, दरवाज़े बन्द … Read more

चम्पा का फूल

संजय वर्मा ‘दृष्टि’  मनावर(मध्यप्रदेश) ************************************************************* चम्पा के फूल जैसी काया तुम्हारी, मन को आकर्षित कर देती जब, खिल जाती हो चम्पा की तरह। भौंरे..तितलियों के संग जब भेजती हो सुगंध का सन्देश, वातावरण हो जाता है सुगंधित और मन हो जाता मंत्रमुग्ध। जब सँवारती हो चम्पा के फूलों से अपना तन, जूड़े में,माला में और … Read more

दूत

संजय वर्मा ‘दृष्टि’  मनावर(मध्यप्रदेश) ************************************************************* जब कोई नहीं रहता, तब कोई तो होता अपना बाँटो जब खुशियाँ, खुशियाँ हो जाती दुगनी। तब सोचते यदि होते तो, खुशियाँ छू जाती जाती चाँद-तारों को, लेकिन नहीं है मेरे अब। मेरे हैं वो महज रिश्ते हैं, फर्ज निभाकर करते रिक्त स्थान की पूर्ति, ख्याल आता पूछने वाला कोई … Read more

दबी आवाजें

संजय वर्मा ‘दृष्टि’  मनावर(मध्यप्रदेश) ************************************************************* आवाज कौन उठाए, समस्याओं के दलदल भरे हर जगह, रोटी-कपड़ा-मकान का पुराना रोनाl जिस रोने के गीत वर्षों से, गा रहे गुहार की राग में भूखे रहकर उपवास की उपमा, ऊपर वाला भी देखता तमाशेl दुनिया की जद्दो-जहद, जो उलझी मकड़ी के जाले में फंसी हो ऐसे होने लगी जीव … Read more

पहले मुझे जीने तो दो

अंतुलता वर्मा ‘अन्नू’  भोपाल (मध्यप्रदेश) ************************************************************ मैं कुछ कहना चाहती हूँ, मुझे कोख में पलने तो दो। मैं सब-कुछ कर सकती हूँ, मुझे कुछ करने तो दो। मैं अम्बर में उड़ सकती हूँ, मेरे पंखों को बढ़ने तो दो। मैं पतझड़ में वसंत ला सकती हूँ, मुझे खिलने तो दो। मैं जग को रोशन कर … Read more

अब डरती नहीं हूँ मैं

अंतुलता वर्मा ‘अन्नू’  भोपाल (मध्यप्रदेश) ************************************************************ जितने भी तुम ज़ुल्म करो, अब डरती नहीं हूँ मैं। मुश्किलें कितनी भी आएं, अब पीछे हटती नहीं हूँ मैं। निडर हो कर चलती हूँ राह पर, अब डगमगाती नहीं हूँ मैं। बेखौफ़ अपनी आवाज़ उठाती हूँ, अब दिल में दबाती नहीं हूँ मैं। दुनिया क्या सोचेगी ! अब … Read more

मकान का रिश्ता

संजय वर्मा ‘दृष्टि’  मनावर(मध्यप्रदेश) ************************************************************* नाना-नानी का मकान, जहाँ बिताई बड़े दिन की छुट्टी नाना का लाड़ नानी दुलार, नाना के हाथों लाई इमरती नानी का झूला, नानी की कहानी मेरे मस्ती करने पर, नानी मुझे नहीं माँ को डाँटती, दुलार को डाँट से ढक देती। नाना-नानी बन चुके जो तारे, गर्मी की छुट्टियों में … Read more

सर्द हवाएँ

संजय वर्मा ‘दृष्टि’  मनावर(मध्यप्रदेश) ************************************************************* सर्द हवाओं से मत पूछो, बिखेरे क्यों ये रंग हजारl मौसम ये अपने मिजाज, दिखते रंग सर्द में आजl ठंडी हवा झोंकों-सी इक पैगाम दे गई, अपनों-सा ये मौसम को एक नाम दे गईl फूलों पे रंगत है मौसम से आज, फिर क्यों पूछे फूलों से खुशबूओं का हिसाबl सर्द … Read more