बच्चे फरमाइशों के
मयंक वर्मा ‘निमिशाम्’ गाजियाबाद(उत्तर प्रदेश) ******************************************************************* क्यों बेकार में लड़ती हो ? क्यों नाहक झगड़ती हो ? वो खेलने भी चले गए, तुम अब तक अकड़ती हो। मेरे-तुम्हारे के खेल में, क्यों अपना खून जलाती हो। बच्चों की बात में, क्यों खुद बच्ची बन जाती हो। न मेरे,न तुम्हारे और न हमारी ख्वाहिशों के, ये … Read more