मृत्यु

विजयकान्त द्विवेदीनई मुंबई (महाराष्ट्र)******************************************** मृत्यु तुम एक भयानक सत्य,जीवन वाक्यांश में पूर्ण विराम।परिवर्तन के परिपोषक तुम,निष्पक्ष मगर हो क्रूर नितान्त॥ बनाकर व्याधि को आधार,काटती पंच-प्राणों के तार।काया करती तुम निष्क्रिय,आत्मा को नहीं सकती मार॥ अमर-अजर शाश्वत चैतन्य,है आत्मा परम ब्रह्म का अंश।साँसों की बंधी हुई जो डोर,उस तक सीमित है तेरा दंश॥ धरा पर घूमती … Read more

मतलबी

विजय कुमारमणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** बीतते दिन के साथजीवन बोझ बन गया,कल जो मेरा थाआज किसी और का हो गया। कहने के लिए तो बहुत कुछपर सोच से दूर हो गया,चला था न्याय करनेखुद अन्याय पे उतर गया। मालूम न था मुझेवो इंसान इतना बदल गया,जिसे राह दी चलने कोवो काँटे ढेर बो गया। क्या कहूं उस … Read more

हो राम राज्य जग में

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************************* हे राम तुम्हारा प्रिय मंदिर,हो अखिल विश्व के जन-मन मेंमानस में चरित तुम्हारा हो,तुम बसे रहो जन-जीवन में। हों अश्रु किसी की आँखों में,तो बहे दूसरों के दु:ख में।दो हँसी अगर तुम ओंठों को,हम हँसें दूसरों के सुख में। हम देख सकें जग के सुख-दु:ख,अपने छोटे से दर्पण में॥ सबके मानस में मिलें … Read more

सबक एक मर्तबा दे दो

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************************* हाय,कोई उसे दवा दे दो,बेहया चीन को वफा दे दो। उसकी करतूत उसको मारेगी,ये सबक एक मर्तबा दे दो। उसको इंसानियत का कोई भी,एक छोटा-सा फलसफा दे दो । ‘कोरोना’ ला के खुद से हारा है,उसको एहसास ऐ खुदा दे दो। जो किसी का बुरा नहीं करता,इस वतन की उसे हवा दे दो॥ … Read more

एक की शहादत पे हजार चाहिए

विजय कुमारमणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** भारत के सपूत को हिसाब चाहिए,इंकलाब,वन्दे मातरम् की आवाज चाहिएचाइना को सबक सिखाने के लिए,हिन्दुस्तान का स्वाभिमान चाहिए…। न रोटी,न कपड़ा,न मकान चाहिए,सम्मान की लड़ाई में,स्वाभिमान चाहिएलगाई है आग तो,अंजाम चाहिए,हिन्दुस्तान के सपूत को सलाम चाहिए…। इस बार बदला नहीं,बदलाव चाहिए,एक की शहादत पे हजार चाहिएचाइना पर नया कोहराम चाहिए,हिन्दुस्तान की अवाम … Read more

प्यार के हसीन पल

विजय कुमारमणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** किसी की राह देखूँ तोशबनम याद आती है,जब कोई रूठ जाए तो-मुहब्बत याद आती है। ज्वाला दिल में जलती हैतो गहरा प्यार होता है,किसी ने जोर से कहा-मेरा तो दिल धड़कता है। तराजू ले के बैठा हूँबराबर हो नहीं पाता,मनाना मैं भी चाहता हूँ-बहाना मिल नहीं पाता। करुं तो क्या करुं ऐसामुझे … Read more

तेरे तीर सब बेअसर जा रहे

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************************* निशाने नजर से किधर जा रहे हैं,तेरे तीर सब बेअसर जा रहे हैं। हमारा तो बंजारों वाला सफर था,वो समझे कि हम अपने घर जा रहे हैं। टिकी है हमारी नजर जिनके ऊपर ,वो हमसे हुये बेखबर जा रहे हैं। खता मैंने अपनी कबूली तो है फिर,खिलाफत मेें क्यों इस कदर जा रहे … Read more

प्यार का दीप इक जलाना है

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* जिन्दगी तू वो आशियाना है, जिसमें ख़्वाबों का इक खजाना है। अपने चारों तरफ अंधेरा है, प्यार का दीप इक जलाना है। इस नये दौर का विरानापन, फिर नयी आस से बसाना है। देवकी फिर कन्हाई को जन्मो, कलयुगी कंस को मिटाना है। ऐ ‘विभा’ छोड़ के न जा इसको, लुट … Read more

बात करना ठीक है क्या

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* सुब्ह के निकले हुये हो,रात करना ठीक है क्या, हर घड़ी इक ख्वाब की ही बात करना ठीक है क्या। मत बढ़ो आगे,जरा ठहरो,वहां पर आसमा है, लांघ कर सीमा किसी पर घात करना ठीक है क्या। हो बड़े तैराक लहरों की कलाएं जानते हो, पर समन्दर में बला उत्पात करना … Read more

मौसमी उरतिया

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* सपनों से आज हुईं मनचाही बतिया, पता नहीं कौन पल बीत गयी रतिया। बरसाती मौसम की रिमझिम फुहारों से, खिड़की की जाली से छनती बौछारों से। तन-मन पर चुभती-सी रसभीनी सुइयां, जियरा को गुदगुदाय सतरंगी रुइया। न जाने ऐसे में उलझ गई मनुआ से, किसकी अनबूझी अनचीन्ही सुरतिया॥ रेशम के सपनों … Read more