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मतलबी

विजय कुमार
मणिकपुर(बिहार)

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बीतते दिन के साथ
जीवन बोझ बन गया,
कल जो मेरा था
आज किसी और का हो गया।

कहने के लिए तो बहुत कुछ
पर सोच से दूर हो गया,
चला था न्याय करने
खुद अन्याय पे उतर गया।

मालूम न था मुझे
वो इंसान इतना बदल गया,
जिसे राह दी चलने को
वो काँटे ढेर बो गया।

क्या कहूं उस मतलबी से,
जिसका ईमान बदल गयाl
बीतते दिन के साथ,
जीवन बोझ बन गयाll

परिचय–विजय कुमार का बसेरा बिहार के ग्राम-मणिकपुर जिला-दरभंगा में है।जन्म तारीख २ फरवरी १९८९ एवं जन्म स्थान- मणिकपुर है। स्नातकोत्तर (इतिहास)तक शिक्षित हैं। इनका कार्यक्षेत्र अध्यापन (शिक्षक)है। सामाजिक गतिविधि में समाजसेवा से जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता एवं कहानी है। हिंदी,अंग्रेजी और मैथिली भाषा जानने वाले विजय कुमार की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक समस्याओं को उजागर करना एवं जागरूकता लाना है। इनके पसंदीदा लेखक-रामधारीसिंह ‘दिनकर’ हैं। प्रेरणा पुंज-खुद की मजबूरी है। रूचि-पठन एवं पाठन में है।

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