२०५० की होली

विजयलक्ष्मी जांगिड़ ‘विजया’  जयपुर(राजस्थान) ***************************************************************** एक दिन स्कूल का प्रोजेक्ट करते-करते, बेटे ने पूछा- "पापा ये रंग क्या होते हैं ? कहाँ मिलते हैं ?" मैं जो वाट्सएप पर, अपनी…

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मेरी अभिलाषा

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** माँ अगर मैं पक्षी होती दुनियाभर की सैर कराती, अच्छे-अच्छे फल तोड़ लाती खूब मजे से तुम्हें खिलाती। शोर गुल नहीं मिलता मुझको ऊपर से उड़…

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अहसास

विजयसिंह चौहान इन्दौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** मुर्गी के दड़बे में फड़फड़ाती मुर्गियां अंतिम साँसों को गिन रही थी। बेजुबाँ,कभी कसाई के छुरे को,खून के छींटों को,तो कभी दम तोड़ती, खाल उधड़ती मुर्गियों…

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हवा हूँ

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** हवा हूँ,हवा हूँ ठंडी हवा हूँ, चलती हूँ ऐसे मस्तानी जैसी। कुदरत ने हमें बनाया पूरी रफ्तार में हमें उड़ाया, कभी खुशिया बाँटी तो कभी गम…

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अभिनंदन करते तुमको

विजयलक्ष्मी जांगिड़ ‘विजया’  जयपुर(राजस्थान) ***************************************************************** अभिनन्दन करते तुमको, चक्रव्यूह में खड़े अकेले। हम वन्दन करते तुमको, अभिमन्यु से लड़े अकेले। भेद रावण की कलुषित लंका, हनुमान तुम जय,अकेले। अंगद से,जा…

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बेटी की आरजू

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** मम्मी मुझे बचाओ, पापा को समझाओ बेटा-बेटी में अंतर है क्या ? ये तो मुझे बताओ। एक पेड़ की डाल हूँ मैं, उसी डाल की पात…

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नसीहत

विजयसिंह चौहान इन्दौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष………………… सरला,महज २० साल की है..पारिवारिक जिम्मेदारियों ने कागज-कलम के स्थान पर झाड़ू पकड़ा दी। चार-पाँच जगह काम करके गुजर-बसर होता है…

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आत्मजा

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* 'आत्मजा' खण्डकाव्य से अध्याय-५ अब यौवन ने ली अँगड़ाई, लगी बिहँसने-सी तरुणाई जैसे बासन्ती बेला में, ललित प्रभाती की अरुणाई। अंग-अंग से लगी छलकने, यौवन की…

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संवेदनाओं की महक और प्रहार भी है ‘धूप आँगन की’

विजयसिंह चौहान इन्दौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** 'धूप आँगन की' सात खण्ड में विभक्त एक ऐसा गुलदस्ता है,जिसमें साहित्यिक क्षेत्र की विभिन्न विधाओं के फूलों की गंध को एकसाथ महसूस करके आनन्द लिया…

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भारत का सपूत

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** ये सपूत है भारत का, करते हैं नमन अभिनन्दन का मौत को मातम दे आए, सारे जहाँ की खुशियां ले आए। दुश्मन को सबक सिखा आए,…

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