हो गया सूना जहां…
विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* पुत्र अमरेश के स्वर्गवास पर रचित........... हाय अब मैं क्या करूँ, अब क्या रखा जग में यहाँ...। भीड़ में भी एक पल में, हो गया सूना…
विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* पुत्र अमरेश के स्वर्गवास पर रचित........... हाय अब मैं क्या करूँ, अब क्या रखा जग में यहाँ...। भीड़ में भी एक पल में, हो गया सूना…
विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** जो सोचा पर किया नहीं, पछताने से मिला नहीं। बुझते दीए में तेल नहीं, लालच में वो मेल नहीं। अपने-अपनों का रिश्ता पर वो मोल नहीं।…
डॉ.विजय कुमार ‘पुरी’ कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) *********************************************************** बड़ा है फैला कोरोना का कहर, बन्द हो गये ये गाँव गली शहर। घर रहने को न समझो मजबूरी, हों काबू हालात,है तभी…
विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** इक्कीस दिन का दान करें ईश्वर का गुणगान करें, ऐसी कठिन घड़ी में- धैर्य संयम से काम करें। हो सकता है,कष्ट और पीड़ा फिर भी हम…
विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* 'कोरोना' वायरस ने कर दी चढ़ाई, चलो लड़ने को भाई। ये है कीड़ा विकराल, चाइना की कुचाल बना मानव का काल, कैसा फैलाया जाल... सुबह होते…
विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. प्रकृति परी तू रच सकती है,मेरे-सा संसार नहीं, मिले तुझे हैं विधि से अनुपम,मेरे से उपहार नहीं। मेरी आँखों के बादल…
डॉ.विजय कुमार ‘पुरी’ कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) *********************************************************** आज़ादी के परवानों को,याद हमेशा करना। स्वर्ग में बैठे उन वीरों को ठेस लगेगी वरना॥ लड़ी लड़ाई आज़ादी की,फूले नहीं समाए हैं। ज़र्ज़र…
विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** ये दिल्ली थी दिलवालों की अब क्यों है दंगाई की, क्या कसूर उन मजदूरों का... बलि चढ़ी उन वीरों की। क्यों न पूछें ये जनमानस कानून…
विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** कृष्ण के संग होली खेले राधा क्यों मुस्काई रे, वृन्दावन में होड़ मची है हुड़दंग होली आयो रे। ढोल-नगाड़े लाल गुलाब मटका फोड़ बजायो रे, होली…
डॉ.विजय कुमार ‘पुरी’ कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) *********************************************************** लड़की वह गोरी होय,भरी हुई तिजोरी होए, पढ़ी भरपूर होए भई,हो जैसे कोई नायिका। रहे मुझको निहारती,पपीहे-सी पुकारती, हो जाऊं मैं शरारती,बन भँवरा…