आजादी की गाथा

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** जीने में मजा नहीं है भैया अब तो हमें मर जाने दो, कितना दुःख झेला है हमने ये तो हमें बताने दो। ये कविता है वीर…

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आत्मजा

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* आत्मजा' खंडकाव्य अध्याय-९ विधि को सुखद लगी यह जोड़ी, उसने आँखें चार करायीं यह कैसा संयोग अजब था, नजरें भी तलवार बनायीं। लगीं काटने वे सपनों…

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माँ की ममता

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… माँ की ममता है अनमोल ना लगाओ इसका मोल, ऐसी तराजू ना मिलेगी जिसका लगा सके तू मोल। माँ की ममता है…

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फिक्र

विजयसिंह चौहान इन्दौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… कल,माँ का पैर फिसल जाने के कारण हाथ की हड्डी टूट गई,इसलिए आज हाथ का ऑपरेशन होने जा रहा है। परिवार के…

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शुभ जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ

हिन्दीभाषा.कॉम मंच के रचनाकार साथी विजय प्रजापत ‘पोटर’जी का ०५  मई को शुभ जन्मदिन है..इस पटल के माध्यम से आप उनको शुभकामनाएं दे सकते हैं…..

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तबाही लाएगी गर्मी

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** ऐसी गर्मी आएगी मिट्टी में तबाही लाएगी, पौधों को खूब सुखाएगी हरियाली दूर भगाएगी। ऐसा मंजर हो जाएगा दुनिया को खूब तपाएगा, दर्दनाक हो जाएगा फसल…

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तुरपाई

विजयसिंह चौहान इन्दौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** तीन बच्चों की माँ चन्दादेवी सुबह से देर रात तक कपड़े की सिलाई कर बमुश्किल दो जून की रोटी कमाती। सुन्नू,काकू और अन्नू यही कुछ नाम…

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आत्मजा

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* आत्मजा खंडकाव्य से अध्याय-९ विधि को सुखद लगी यह जोडी, उसने आँखें चार करायीं यह कैसा संयोग अजब था, नजरें भी तलवार बनायीं। लगीं काटने वे…

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भ्रूण हत्या बड़ा अपराध

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** भ्रूण हत्या है बड़ा अपराध इसे रोकें हम और आप, लड़का-लड़की में अंतर नहीं फिर क्यों होते है इतने अपराध। काजल नहीं सुंदरता का लो कालिख…

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भटकते युवा सोचो बारम्बार

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** ना करो तुम इतना प्यार कष्ट मिलेगा बारम्बार, झूठ-फरेब का सपना आएगा- हो जाओगे बर्बाद। लक्ष्य तुम्हारा मिट जाएगा दुःख-संकट से घिर जाओगे, इस जहाँ में…

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