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पीड़ा,प्रेरणा और भावों की अभिव्यक्ति है ‘त्रासदियों का दौर’

प्रीति शर्मा `असीम`
नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)
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‘त्रासदियों का दौर’ डॉ. अमिताभ शुक्ल का काव्य संग्रह है। डॉ. शुक्ल ने सागर ७ किताबें एवं १०० से अधिक शोध-पत्र विभिन्न शोध पत्रिकाओं तथा राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में प्रस्तुत किए हैं।
आर्थिक गतिविधियों पर पैनी दृष्टि रखने वाले डॉ. शुक्ल को कोरोना काल ने इतना व्यथित किया कि अर्थव्यवस्था का विश्लेषण करने वाला दृढ़ व्यक्तित्व मोम बनकर काव्य की धारा में बह गया। इसी धारा में बहते हुए जन्म हुआ काव्य संग्रह ‘त्रासदियों का दौर’ का। काव्य शास्त्री बने डॉ. शुक्ल ने कोरोना काल में एक व्यक्ति,एक समाज और एक देश की मानसिक स्थिति का उद्घाटन करते हुए काव्य का सृजन किया है। इस काव्य संग्रह में ३० कविताएं हैं। सभी कविताएं त्रासदी काल में हर आम-खास के उदगारों को व्यक्त करती हैं। यह कविताएं वर्तमान त्रास और त्रासदी के दौर से उपजी हैं। इनमें अभिव्यक्त पीड़ा और भावनाएं उन विसंगतियों से उत्पन्न हुई है,जो समाज,प्रशासन,जनजीवन, मानवीय रिश्तों और संबंधों में व्याप्त है। जो पीड़ा कवि हृदय को अनुभव हुई,वह इन कविताओं में कवि ने लक्षित की है।
‘जीना और मरना अपने देश में’ कविता से कवि ने अपने देश के प्रति अगाध प्रेम को प्रकट किया है और दूसरे देश में रहकर जब अपने देश की याद आती,अपने मित्रों की याद आती है तो वह कितना पीड़ादायक होता है। मजबूरियों के बस आर्थिक कारणों से दूसरे देशों में जाना तो पड़ता है,लेकिन जो टीस अपने देश की,वह भीतर ही भीतर तोड़ती रहती है,इसी का कवि हृदय ने वर्णन किया है।
‘अपने सपने’ कविता में कवि ने सपनों का महत्व बताते हुए यह समझाने की कोशिश की है कि सपने फलीभूत होते तभी अच्छे लगते हैं,जब उन सपनों में अपने हों और उन सपनों के पूरा होने की खुशी में अपने-आप भी साथी हों,वरना उन सपनों का कोई मूल्य नहीं रह जाता है। त्रासदी,पीड़ा दे रही इन सभी परिस्थितियों से परे कवि कभी-कभी प्रकृति में सकून तलाश करने की कोशिश में बारिश को देखते हुए उठे भाव हृदय में रोमांच पैदा होता है,जो बारिश के प्रति भाव उत्पन्न हुए हैं ‘बारिश इसलिए भाती है’ में। इसमें व्यक्त किया है कि कैसे बारिश में धरती और आकाश एक माध्यम से मिल जाते हैं। बारिश की बूंदें कैसे प्रेमी हृदय में फिर से प्रेम स्मृतियों के बीज पुलकित कर रही है।
ऐसे ही आसपास फैले अविश्वास की पीड़ा को व्यक्त करने वाली कविता ‘बात करने को तरसती है जुबान’ में बहुत सुंदर अभिव्यक्ति और पीड़ा को व्यक्त किया गया है। कवि ने बताने की कोशिश की है कि आज जहां तकनीकी समाज इतना विकसित हो गया है, आज आदमी को आदमी से ही खतरा हो गया है।
कविता ‘कोरोना कोहराम करोड़ों में’ ३ ‘क’ से बहुत सुंदर वर्णन करते हुए समाज को मोक्ष का मार्ग प्रशस्त किया है। ‘खामोशियों का दौर’ कविता में बहुत सुंदर खामोशी का चित्रण किया गया है, क्योंकि इस दौर में हमारा समाज फोन तक सीमित होकर रह गया है। खामोशी का कवि ने काव्य के रूप में यह संदेश दिया है कि,उन लोगों से बात कीजिए,जो आपको सुनना चाहते हैं।
‘अर्थशास्त्र’ कविता में पैसे के महत्व को बताते हुए मानवीय भाव प्रकट किए हैं कि अर्थ के बिना जीवन में जीवन की मूलभूत आवश्यकता को प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है और जीवन में पाई -पाई का हिसाब है और इसी पाई -पाई के हिसाब में सभी संबंध तार-तार हो जाते हैं।
कविता ‘भारत का विकास और लोकतंत्र’ में कवि ने भारत की महिमा का गुणगान करते हुए यह व्यक्त किया कि भारत ३३ करोड़ देवी-देवताओं का वरदान है,जो आज १० करोड़पतियों के नाम हो गया है। शायद इसीलिए मेरा भारत महान है ।
कामकाज के लिए लोगों को शहरों की तरफ भागना पड़ता है,इसी को दर्शाती कविता ‘जंगलों में रोटी नहीं प्राप्त हो सकती’ और शहरों में जंगलराज है वहां किसी को किसी की मेहनत का वह फल प्राप्त नहीं हो पाता। जंगलों में रोटी नहीं है और शहरों में जंगलराज है। इसमें बहुत ही सुंदर चित्रण किया है।
अकेलेपन में कभी-कभी ईश्वर से एहसासों के साक्षात्कार में उम्र के अनेक पड़ावों में लगता है कि,जीवन में बहुत कुछ पा लिया है और बहुत कुछ खो दिया है,लेकिन उस पड़ाव में लगता है कि जीवन में कोई भी चीज इतनी महत्वपूर्ण नहीं थी, जितना ईश्वर को पाने का एहसास,उसे खोजने का एहसास और जीवन का समय समाप्त होने को होता है।
‘वसुधैव कुटुंबकम’ पूरे विश्व को एक सूत्र में पिरो कर इन्होंने अपने भावों को व्यक्त किया है और पूरे विश्व में अमन प्यार और शांति के लिए दुआ की है। मनुष्य का विकास तभी हो सकता है,जब वह समाज को विकसित करते हुए उसे विश्व सोपान पर ले जाए। इसी का संदेश देता यह काव्य संग्रह त्रासदी के काल के बाद भी प्रेरणा का पुंज और मनुष्य के हृदय में उड़ते हुए भावों को व्यक्त करने का माध्यम बना रहेगा।

परिचय-प्रीति शर्मा का साहित्यिक उपनाम `असीम` हैL ३० सितम्बर १९७६ को हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर में अवतरित हुई प्रीति शर्मा का वर्तमान तथा स्थाई निवास नालागढ़(जिला सोलन,हिमाचल प्रदेश) हैL आपको हिन्दी,पंजाबी सहित अंग्रेजी भाषा का ज्ञान हैL पूर्ण शिक्षा-बी.ए.(कला),एम.ए.(अर्थशास्त्र,हिन्दी) एवं बी.एड. भी किया है। कार्यक्षेत्र में गृहिणी `असीम` सामाजिक कार्यों में भी सहयोग करती हैंL इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी,निबंध तथा लेख है।सयुंक्त संग्रह-`आखर कुंज` सहित कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंL आपको लेखनी के लिए प्रंशसा-पत्र मिले हैंL सोशल मीडिया में भी सक्रिय प्रीति शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-प्रेरणार्थ हैL आपकी नजर में पसंदीदा हिन्दी लेखक-मैथिलीशरण गुप्त,जयशंकर प्रसाद,निराला,महादेवी वर्मा और पंत जी हैंL समस्त विश्व को प्रेरणापुंज माननेवाली `असीम` के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“यह हमारी आत्मा की आवाज़ है। यह प्रेम है,श्रद्धा का भाव है कि हम हिंदी हैं। अपनी भाषा का सम्मान ही स्वयं का सम्मान है।”

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