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एकता का रूप है हिंदी

उषा शर्मा ‘मन’
जयपुर (राजस्थान)
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वंदे मातरम की शान है हिंदी,
देश की माला का स्वरूप,भारत माँ का मान है हिंदी।

अन्य भाषाओं से बढ़कर है हिंदी,
भारत भारतीयों के साथ,संविधान का गौरव है हिंदी।

हिंदुस्तान के नाम में है हिंदी,
कड़ी से कड़ी जोड़ने वाली,देश को एक मुठ्ठी में करने वाली है हिंदी।

भारत की आत्मा,चेतना है हिंदी,
एकता की नित्य परम्परा,भारतवासियों की पहचान है हिंदी।

अन्य भाषाओं पर विजय पाने वाली है हिंदी,
जन-जन की विरासत भाषा,भारत माँ की बेटी का रूप है हिंदी।

आदर्शों की मिसाल है हिंदी,
हिंदी से ना कोई बढ़कर,वक्ताओं की शक्ति है हिंदी।

कालरूपी अंग्रेजी करती है दबाने को हिंदी,
अंग्रेजी को पीछे कर बलवती,दिन-दिन बलवान हो जाती है हिंदी।

फूलों-सी खुशबू महक रही है हिंदी,
साहित्य की मन,आत्मा का,जन्मों-जन्मों का साथ है हिंदी।

कवि-लेखकों का मान है हिंदी,
हिंदी बिना सूना है हिंदुस्तान,जन-जन की शान है हिंदीl

संविधान की पुत्री ७० साल की है हिंदी,
७० साल बाद भी नई जवानी पाई,संपूर्ण हिंदुस्तान में समाई है हिंदीll

परिचय-उषा शर्मा का साहित्यिक उपनाम ‘मन’ है। जन्म तारीख २२ जुलाई १९९७ एवं स्थान-मानपूर नांगल्या(जयपुर) है। राजस्थान निवासी उषा शर्मा ‘मन’ का वर्तमान निवास बाड़ा पदमपुरा( जयपुर)में ही है। इनको राष्ट्रभाषा हिंदी सहित स्थानीय भाषा का भी ज्ञान है। ‘मन’ की पूर्ण शिक्षा-बी.एड.एवं एम. ए.(हिंदी साहित्य)है। कार्यक्षेत्र में फिलहाल अध्ययन जारी है। आपकी लेखन विधा-लेख कविता,संस्मरण व कहानी है। पसंदीदा हिंदी लेखक जयशंकर प्रसाद को मानने वाली उषा शर्मा ‘मन के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-
“हिंदी भारत देश के लिए
गौरवमयी भाषा है,
देश की माला का स्वरूप,
भारत माँ का मान है हिंदी।
साहित्य की मन आत्मा का,
जन्मों-जन्मों का साथ है हिंदी।
कवि लेखकों की शान ही हिंदी,
हिंदुस्तान के नाम में है हिंदी॥”

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