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मातृ तत्व की अपार महिमा का निरुपण हुआ है संस्कृति और साहित्य में-प्रो. शर्मा

राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी……………….
नागदा (उज्जैन)।

भारतीय संस्कृति,परम्परा और साहित्य में मातृ तत्व की अपार महिमा का निरुपण हुआ है। शास्त्र और लोक दोनों ने ही मातृ तत्व को अनेक रूपों में महत्व दिया है। माँ मात्र देवधारी जीव नहीं है,वह ही सृजन,उर्वरता,संवेदना और भावी संभावनाओं का मूल आधार है। मातृ शक्ति के लौकिक और अलौकिक गुणों का गान करने में देव भी स्वयं को असमर्थ पाते हैं। हमें स्त्रियों के सम्मान और बेटियों के बचाव के लिए व्यापक जागरूकता लानी होगी।
यह बात लेखक एवं आलोचक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा(उज्जैन) ने बतौर प्रमुख अतिथि कही। अवसर था संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा भारतीय संस्कृति और साहित्य में मातृ तत्व पर केन्द्रित राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी (वेब) का,जिसमें मुख्य अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय(उज्जैन) के हिंदी विभाग के अध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा थे। प्रमुख वक्ता साहित्यकार त्रिपुरारलाल शर्मा थे। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार हरेराम वाजपेयी(इंदौर) एवं संस्था के महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता ब्रजकिशोर शर्मा ने की।
अध्यक्ष श्री शर्मा,साहित्यकार त्रिपुरारीरलाल शर्मा(इंदौर),डॉ. भरत शेणेकर,डॉ. संगीता पाल एवं डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख(पुणे) ने भी अपने उद्गार व्यक्त
किए।
संगोष्ठी की प्रस्तावना डॉ.चौधरी ने प्रस्तुत की। स्वागत भाषण डॉ. सुवर्णा जाधव(मुंबई) ने दिया। संस्था परिचय राकेश छोकर ने दिया।
संचालन रागिनी शर्मा ने किया। आभार अनिल ओझा ने माना।

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