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चींटियों का सबक

अलीशा सक्सेना
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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गर्मी के दिन थे,बहुत मेहनत करने के बाद चींटियों ने अपने लिए एक घर बनाया। अपनी रानी के लिए उस घर के बीचों-बीच एक सुन्दर-सा महल बनाया। उसके आसपास छोटी-छोटी गलियों में प्रजा के लिए घर बनाया। बच्चों के खेलने के लिए एक बाग़ भी बनायाl इतना ही नहीं,एक बड़ा-सा बाजार भी बनाया,उसके पास एक विद्यालय भी बनाया। और पता है,ये सब उन्होंने केवल मिट्टी से और बहुत मेहनत से बनाया,पर वे चीटियाँ ये नहीं जानती थी कि उन्होंने वह महल एक बहुत शरारती लड़के पिंटू के घर के बगीचे में बनाया था। पिंटू बहुत ज़यादा नट-खट था,वह कीड़े- मकोड़ों को पैरों तले कुचल देता। किसी भी प्राणी पर दया करना उसके स्वभाव में नहीं था।
एक दिन जब वह अपने बगीचे में खेल रहा था,उसे एक पेड़ के नीचे चींटियों का महल दिखा और उस शैतान बच्चे ने उसे तोड़ देने का सोचा। वह तेजी से भागता हुआ आया और इतनी मेहनत से बने उस महल पर चढ़ गया,उसे तोड़ दिया।
यह देखकर चींटियों को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने रानी से इस बात की शिकायत कीl रानी चींटी ने उन्हें समझाया,और फिर से महल बनाने का आदेश दिया। चींटियाँ एकजुट होकर फिर से महल बनाने लगी,तथा वह महल पहले से जयादा सुन्दर बन गया। अगले दिन चिंटू फुटबॉल खेल रहा था,उसकी बॉल फिर उसी पेड़ के नीचे जा गिरी। जब पिंटू बॉल लेने गया,तब उसे वहाँ चींटियों का महल फिर से खड़ा मिला। ये देख उसे बहुत गुस्सा आया,तो उसने फिर से उसे तोड़ने का सोचा। गुस्से में भरे हुए पिंटू ने न आव देखा,न ताव और उस महल पर कूद गया,एवं महल को तहस-नहस कर दियाl इस बार चींटियों की सेना,जो पहले से तैयार थी ने चिंटू पर हमला कर दिया। चीटियों की सेना में थोड़ी मोटी,हष्ट-पुष्ट और बड़ी चीटियां भी थी, क्योंकि रानी अपने सेना को बहुत पौष्टिक आहार दिया करती थी। उन चींटियों ने जोरदार हमला कर दियाl जब चीटियों ने पिंटू को जगह-जगह काटना शुरू किया तो वह जोर-जोर से रोने लगा। तब उस महल की चीटियों की रानी ने कहा-“बालक हमने तुम्हें पिछली बार माफ कर दिया था,जिसके कारण तुमने हमें कमजोर समझ लिया थाl हम अकेले कमजोर हो सकते हैं,पर अगर एकसाथ हैं तो हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता हैl इस बार भी तुम्हें एक और मौका दे रहे हैं, अभी माफी माँगो और यहाँ से चले जाओ,तथा वापस यहाँ आ के हमें परेशान मत करनाl”
दर्द से बिलबिलाता हुआ पिंटू वहां से भाग खड़ा हुआl तब उसको समझ में आया कि,हमें किसी को अपने से छोटा नहीं समझना चाहिए,और बिना कारण किसी के काम में टांग नहीं चाहिए। एकता में कितनी शक्ति है,यह बात भी पिंटू की समझ में आ गई।

परिचय-अलीशा सक्सेना का जन्म १अगस्त २००६ को इंदौर(म.प्र.) में हुआ है। वर्तमान में इंदौर में ही स्थाई डेरा है। फिलहाल निजी विद्यालय में कक्षा ८ में अलीशा अध्ययनरत है। सामाजिक गतिविधि के अंर्तगत शिक्षा के साथ अच्छे संस्कार सीखने में सक्रियता है। अनेक रचनाएं बाल पत्रिका एवं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। जीव-जंतु और आसपास की घटनाओं से प्रेरित होकर लेखन करने में अग्रणी अलीशा की लेखन विधा-कहानी,कविता और लघुकथा है। शिक्षा के साथ खेलकूद एवं अन्य प्रतियोगिताओं में अग्रणी अलीशा को विद्यालय में कईं सम्मान प्राप्त हुए हैं। लेखनी का उद्देश्य-मन के भावों को अभिव्यक्ति देना है।

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