कुल पृष्ठ दर्शन : 398

You are currently viewing बस किस्मत का खेल

बस किस्मत का खेल

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’
लखीमपुर खीरी(उप्र)
****************************************************
बहुत मुबारक हो उन्हें,यह माहे-रमजान।
जिनके दिल में है बसा,प्यारा हिन्दुस्तानll

भूख,गरीबी,बेबसी,श्रमिक रहा है झेल।
लाचारी से देखता,बस किस्मत का खेलll

सुख-सुविधाओं से परे,जीवन करे व्यतीत।
मेहनत करता रात-दिन,वर्षा गर्मी शीतll

महल,इमारत झोपड़ी,बंगले आलीशान।
श्रमिक बिना संभव नहीं कोई भी निर्माणll

प्राणों से भी प्रिय अधिक,जिनको लगे शराब।
योगी जी ने कर दिए,पूरे उनके ख़्वाबll

मदिरालय में भीड़ को,देख हुआ मैं दंग।
बिना पिये ही कर रहे,लोग वहां हुड़दंगll

`सामाजिक दूरी` बना,केवल एक मजाक।
मदिरा की खातिर सभी,निकल पड़े बेबा़कll

कभी लगाते बंदिशें,मान जिन्हें निकृष्ट।
आज स्वयं अपना रहे,समझ उसे उत्कृष्टll

परिचय- शिवेन्द्र मिश्र का साहित्यिक उपनाम ‘शिव’ है। १० अप्रैल १९८९ को सीतापुर(उप्र)में जन्मे शिवेन्द्र मिश्र का स्थाई व वर्तमान बसेरा मैगलगंज (खीरी,उप्र)में है। इन्हें हिन्दी व अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। जिला-लखीमपुर खीरी निवासी शिवेन्द्र मिश्र ने परास्नातक (हिन्दी व अंग्रेजी साहित्य) तथा शिक्षा निष्णात् (एम.एड.)की पढ़ाई की है,इसलिए कार्यक्षेत्र-अध्यापक(निजी विद्यालय)का है। आपकी लेखन विधा-मुक्तक,दोहा व कुंडलिया है। इनकी रचनाएँ ५ सांझा संकलन(काव्य दर्पण,ज्ञान का प्रतीक व नई काव्यधारा आदि) में प्रकाशित हुई है। इसी तरह दैनिक समाचार पत्र व विभिन्न पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार देखें तो विशिष्ट रचना सम्मान,श्रेष्ठ दोहाकार सम्मान विशेष रुप से मिले हैं। श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा की सेवा करना है। आप पसंदीदा हिन्दी लेखक कुंडलियाकार श्री ठकुरैला व कुमार विश्वास को मानते हैं,जबकि कई श्रेष्ठ रचनाकारों को पढ़ कर सीखने का प्रयास करते हैं। विशेषज्ञता-दोहा और कुंडलिया केa अल्प ज्ञान की है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार(दोहा)-
‘हिन्दी मानस में बसी,हिन्दी से ही मान।
हिन्दी भाषा प्रेम की,हिन्दी से पहचान॥’

Leave a Reply