प्रिया सिंह
लखनऊ(उत्तरप्रदेश)
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शहर की सड़कों पर वो अदाकारी दिखाती है,
पतली-सी रस्सी पर वो कलाकारी दिखाती है।
नाजुक से पैरों में उसके छाला मोटा दिखता है,
मासूमियत के पीछे से वो होशियारी दिखाती है।
चढ़ कर रस्सी पर आसमान छूने का हौंसला है,
नज़ाकत बेच कर यहाँ वो रोजगारी दिखाती है।
छिप-छिपा कर कभी पढ़ते भी देखते हैं उसे,
भविष्य के साथ अपने ईमानदारी दिखाती है।
गंवार भले है वो दुनिया भर की नजरों में आज,
नन्हें कदमों से चल कर दुनियादारी दिखाती है॥
परिचय-प्रिया सिंह का बसेरा उत्तरप्रदेश के लखनऊ में है। २ जून १९९६ को लखनऊ में जन्मी एवं वर्तमान-स्थाई पता भी यही है। हिंदी भाषा जानने वाली प्रिया सिंह ने लखनऊ से ही कला में स्नातक किया है। इनका कार्यक्षेत्र-नौकरी(निजी)है। लेखन विधा-ग़ज़ल तथ कविता है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जन-जन को जागरूक करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महादेवी वर्मा को मानने वाली प्रिया सिंह देश के लिए हिंदी भाषा को आवश्यक मानती हैं।