जसवीर सिंह ‘हलधर’
देहरादून( उत्तराखंड)
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चैती माँ का परवाना ले,नव वर्ष हमारा आया है,
मौसम का रूप सुहाना ले,नव वर्ष हमारा आया है।
देखो माँ की परछाई में,खुद सूरज की अगुवाई में,
मानस पशु पक्षी खाना ले,नव वर्ष हमारा आया है।
पतझड़ की हुई विदाई में,देखो अमुआ अमराई में,
बाली में गेहूँ दाना ले,नव वर्ष हमारा आया है।
देखो चंदा तरुणाई में,ध्रुव तारे की अरुणाई में,
फसलों में छुपा खजाना ले, नव वर्ष हमारा आया है।
उपवन की सजी बहारों में,सरसों की खड़ी कतारों में,
जीवन का ताना-बाना ले,नववर्ष हमारा आया है।
गेहूँ सरसों से बतियाता,तू आगे चल मैं भी आता,
‘हलधर’ का राग पुराना ले,नव वर्ष हमारा आया है॥