राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड)
**************************************************************************
मैं हूँ ‘कोरोना’,
तुम मुझसे डरो ना
मैं इटली घूमा,अमेरिका घूमा,
और घूमा हूँ विश्व का कोना-कोना
बड़े ही जतन से जना है मुझे चाइना।
मैं हूँ कोरोना…
तुम मुझसे डरो ना॥
जिसने सीखा दूसरों से मिलाना हाथ,
जो रहा ना अपनी संस्कृति के साथ
चाहता ना जो स्वच्छता अपनाना,
मेरे कारण उसे ही पड़ेगा रोना
मुँह खोल दूभर करूँ उसका जीना।
मैं हूँ कोरोना…
तुम मुझसे डरो ना॥
तुम हो हिंदुस्तान,
संस्कार हैं तेरे महान
हाथ जोड़ करते स्वागत,
नहा-धो करते खान-पान
स्वच्छता का सदा रखते ध्यान।
मै हूँ कोरोना…
तुम मुझसे डरो ना॥
मैं हूँ अभी ला-इलाज,
चहुँओर मेरा फैला समाज
बरतो यदि तुम सावधानी,
होगी फिर ना परेशानी
की अगर तुमने आना-कानी,
फिर बन जाऊँगा मैं तूफानी।
मैं हूँ कोरोना…
तुम मुझसे डरो ना॥
परिचय–साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैl जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैl भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैl साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैl सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंl लेखन विधा-कविता एवं लेख हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैl पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंl विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।