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स्वार्थ से दूर रखना चाहिए जीवन

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’
ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर)

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हाँ,हमें अपना जीवन स्वार्थ से दूर रखना चाहिए। यही हमारे धर्मग्रंथों की शिक्षा भी है कि,दूसरों के प्रति नि:स्वार्थ सेवा भाव रखना चाहिए। जिसे जीवन का मूलमंत्र भी कहते हैं। चूंकि,सेवा भाव से विनम्रता एवं सहनशीलता का गुण फलता-फूलता है और जिस व्यक्ति के मन में ममता,करुणा की भावना हो वह अपना समस्त जीवन मानव सेवा में अर्पित कर देता है और सफलता व सुकून प्राप्त करता है। ठीक इसी भाव से हम सबको अपना जीवन समाज हित में आगे बढ़ाना चाहिए।
उपरोक्त शिक्षा वह शिक्षा है जो हमें धर्मग्रंथों से बाल्यावस्था में पढ़ने को मिली थी। कबीर दास जी ने ‘कबीरा तेरी झोपड़ी गलकटियन के पास जो करेगा सो भरेगा तू क्यों होत उदास’ अपनी खुशी से कदापि नहीं लिखा होगा। यह शब्द कहीं न कहीं उनकी सामाजिक विवशता दर्शाता है। अतः,भले ही जीवन अनमोल है,जिसकी प्रत्येक साँस मूल्यवान है,परंतु नि:स्वार्थ जीना अंगारों पर चलने के बराबर है। इसे एक प्रकार का घोर नरक भी कह सकते हैं, जबकि स्वार्थ का रसपान स्वर्ग के मदिरापान से भी ज्यादा मदमस्त है। हमने स्वयं तय करना है कि नरक भोगकर हम स्वर्ग प्राप्त करना चाहते हैं या स्वर्ग भोगकर नरक भोगना चाहते हैं ?

परिचय–इंदु भूषण बाली का साहित्यिक उपनाम `परवाज़ मनावरी`हैL इनकी जन्म तारीख २० सितम्बर १९६२ एवं जन्म स्थान-मनावर(वर्तमान पाकिस्तान में)हैL वर्तमान और स्थाई निवास तहसील ज्यौड़ियां,जिला-जम्मू(जम्मू कश्मीर)हैL राज्य जम्मू-कश्मीर के श्री बाली की शिक्षा-पी.यू.सी. और शिरोमणि हैL कार्यक्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों से लड़ना व आलोचना है,हालाँकि एसएसबी विभाग से सेवानिवृत्त हैंL सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप पत्रकार,समाजसेवक, लेखक एवं भारत के राष्ट्रपति पद के पूर्व प्रत्याशी रहे हैंL आपकी लेखन विधा-लघुकथा,ग़ज़ल,लेख,व्यंग्य और आलोचना इत्यादि हैL प्रकाशन में आपके खाते में ७ पुस्तकें(व्हेयर इज कांस्टिट्यूशन ? लॉ एन्ड जस्टिस ?(अंग्रेजी),कड़वे सच,मुझे न्याय दो(हिंदी) तथा डोगरी में फिट्’टे मुँह तुंदा आदि)हैंL कई अख़बारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंL लेखन के लिए कुछ सम्मान भी प्राप्त कर चुके हैंL अपने जीवन में विशेष उपलब्धि-अनंत मानने वाले परवाज़ मनावरी की लेखनी का उद्देश्य-भ्रष्टाचार से मुक्ति हैL प्रेरणा पुंज-राष्ट्रभक्ति है तो विशेषज्ञता-संविधानिक संघर्ष एवं राष्ट्रप्रेम में जीवन समर्पित है।

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