श्रीमती पूर्णिमा शर्मा पाठक
अजमेर (राजस्थान)
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किसी को दर्द से तेरे,
फरक कोई नहीं पड़ता।
तू जीता है तो जीता क्यों,
तू मरता है तो डरता क्यों!
किसी को मारने से तेरे,
फरक कोई नहीं पड़ता।
जो घर,तेरा उजड़े तो,
दुःख में कोई नहीं आता।
घर जब तू बसाए तो,
न्योता किसे नहीं भाता।
ये दुनिया की रवायत हैं,
इसे तो दर्द नहीं आता।
जो आँसू तेरे टपके तो
दुनिया प्यास बुझाएगी।
जो लहू अश्कों के टपके,
तो दुनिया जश्न मनाएगी।
जीना है तो तुझको सुन,
तेरी हिम्मत खुद जुटानी है।
तुझे,सुन ले ऐ मानव,
कि कहानी खुद ही रचानी।
जिए तो गीदड़ भी जग में,
मरे तो शेर भी जग में।
लेकिन देख तू इन सबकी,
अलग अपनी कहानी है॥
परिचय-पूर्णिमा शर्मा पाठक का बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। ‘साहित्य साधक २०१९ सम्मान’, गजेंद्र नारायण सिंह सम्मान २०१९(नेपाल),राष्ट्रीय भाषा गौरव २०१९ सम्मान,महाराज कृष्ण कुमार जैन स्मृति २०१९ (मेघालय) सम्मान सहित राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा मुख्य वक्ता प्रतिभागी सम्मान २०१९ जैसी १५ सम्मान- साहित्यिक उपलब्धियाँ आपको प्राप्त हुई हैं।
संप्रति से कार्यालय अधीक्षक (रेलवे)के पद पर कार्यरत पूर्णिमा शर्मा समाजसेवा एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में गहन रुचि रखती हैं। आप विभिन्न संस्थाओं में भी पदों पर सक्रिय हैं।