कविता जयेश पनोत
ठाणे(महाराष्ट्र)
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आओ हम सब पेड़ लगाएँ,
धरती को उज्जवल बनाएँ…
धरती को निर्मल बनाएँ।
हम बच्चों की धरती माता,
कितना पवित्र है यह नाता…
आओ इस नाते को निभाएँ।
कृषि प्रधान यह भारत भूमि,
आओ इसे पेड़ों से सजाएँ…
आओ इसे फूलों से महकाएँ।
कितनी अच्छी है यह धरती,
जीवनभर सुख देती है
बिन मांगे यह अपना सब-कुछ,
हमको दे देती है।
आओ इस भारत भूमि को,
हरियाली रूपी वस्त्र पहनाएँ…
आओ हम सब पेड़ लगाएँ।
आओ इस धरती माता की गोद में,
सर्वस्व न्योछावर करते जाएँ…
इस धरती के हम बहुत ऋणी हैं,
आओ इसका ऋण हम चुकाएँ…
आओ हम सब पेड़ लगाएँ।
धरती को उज्वल बनाएँ,
धरती को निर्मल बनाएँ॥