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अमर शहीदों को श्रद्धांजलि

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’
रावतसर(राजस्थान) 
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पुलवामां के अमर शहीदों की कुर्बानी याद करो,
आँखों में अंगारे रक्खो दिल से यूँ ना आह भरो।
किया पाक ने जो कुकर्म था बदला अभी चुकाना है,
चौदह फरवरी सन् उन्नीस को हमको नहीं भुलाना है॥

वही आज का दिन है जिस दिन धोखा हुआ करारा था,
घात लगा चालीस जवानों को दुश्मन ने मारा था।
मचा तबाही दुश्मन के घर उसको याद दिलाना है,
चौदह फरवरी सन् उन्नीस को हमको नहीं भुलाना है…॥

इस दिन माँओं ने बेटे,बहनों ने खोये थे भाई,
तब कितनी माँगें उजड़ी थी जब उनकी हुई बिदाई।
बातों से शठ नहीं समझते लातों से समझाना है,
चौदह फरवरी सन् उन्नीस को हमको नहीं भुलाना है…॥

याद रहे जिसकी सेना को इस दुनिया ने माना है,
शेर जन्मते हैं भारत में आखिर मौत ठिकाना है।
हमें तिरंगा रावलपिंडी जाकर के फहराना है,
चौदह फरवरी सन् उन्नीस को हमको नहीं भुलाना है…॥

चेत करो भारत के शेरों उट्ठो और यलगार करो,
भारत का जो भी दुश्मन है उसका अब संहार करो।
पूरे पाकिस्तान को हमें कब्रिस्तान बनाना है,
चौदह फरवरी सन् उन्नीस को हमको नहीं भुलाना है…॥

छुपी हुई जो अपने घर में गद्दारों की टोली है,
जितने भी जयचंद छिपे सब पाकी के हमजोली हैं।
खींच-खींच कर गोद मौत की उनको हमें सुलाना है,
चौदह फरवरी सन् उन्नीस को हमको नहीं भुलाना है…॥

जलती रहे आग सीने में इसको भूल न जाओ तुम,
याद शहीदों को करके कुछ श्रद्धा सुमन चढ़ाओ तुम।
अमर रहो ऐ वीर बांकुरों करता याद जमाना है,
चौदह फरवरी सन् उन्नीस को हमको नहीं भुलाना है…॥

परिचय-शंकरलाल जांगिड़ का लेखन क्षेत्र में उपनाम-शंकर दादाजी है। आपकी जन्मतिथि-२६ फरवरी १९४३ एवं जन्म स्थान-फतेहपुर शेखावटी (सीकर,राजस्थान) है। वर्तमान में रावतसर (जिला हनुमानगढ़)में बसेरा है,जो स्थाई पता है। आपकी शिक्षा सिद्धांत सरोज,सिद्धांत रत्न,संस्कृत प्रवेशिका(जिसमें १० वीं का पाठ्यक्रम था)है। शंकर दादाजी की २ किताबों में १०-१५ रचनाएँ छपी हैं। इनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता में नौकरी थी,अब सेवानिवृत्त हैं। श्री जांगिड़ की लेखन विधा कविता, गीत, ग़ज़ल,छंद,दोहे आदि है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन का शौक है

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