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बेवफा

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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रचना शिल्प:१२२ १२२ १२२ १२ वज़्न….

दिखे तो न क्या हुई कयामत नहीं,
कि जा हमें तुमसे मोहब्बत नहीं।

कहूं किस तरह की तोहमत नहीं,
हमें भी पसंद तेरी सोहबत नहीं।

शगल है उसे दे इल्जामात मुझे,
कुसूरवार है करते बगावत नहीं।

बुत संगमरमरे दीदे दिखाते जमें,
उल्फ़ते निगाहें पर इनायत नहीं।

शम्मा रोशन तेरे जलवे रहे,
कहीं मेरी भी जहाँ में ज़ुल्मत नहीं।

खुश रहे जिसके आसपास रहे,
शिकायत तो है पर अदावत नहीं।

कहीं गुम न होना दूर ही सही,
झुकाने वगैरह की वहशत नहीं।

दिले एहसास बीतेंगे पल बचे,
उल्फत है जागीर ए हुकूमत नहीं।

गुजर को जरा-सा काफी प्यार ही,
हमें ज्यादा की भी जरूरत नहीं।

हम पर करम रहम रहे उस रब की,
करेगा दिल तेरी इबादत नहीं।

चलेगी न दिलोजाँ मनमानियाँ,
मिल्कियत ये तेरी रियासत नहीं।

पता अब जा कर चली बेईमानियाँ,
पुलिंदा झूठ का तू हकीकत नहीं।

सताया जलाया भगाया सुनो,
तुम्हें अब इसकी इजाजत नहीं॥

परिचय-ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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