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एकता

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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अनेकता में एकता,भारत की पहचान।
एक सूत्र में हैं बँधे,संस्कृति यहाँ महानll

प्यारे-प्यारे फूल-सी,जाति वर्ण सम भान।
अपने-अपने धर्म को,माने सभी सुजानll

रंग भेद कुछ भी नहीं,भाई-भाई साथ।
मिलकर करते काम हैं,ले हाथों में हाथll

हिन्द हमारी जान है,हिंदी हिंदुस्तान।
हिन्द महामानव बना,हिंदी से पहचानll

गाँव-शहर में एकता,विपद काल पहचान।
ऐसा भारत देश है,इस पर हमको आनll

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