कुल पृष्ठ दर्शन : 335

You are currently viewing असुरक्षित बेटियाँ

असुरक्षित बेटियाँ

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’
बरेली(उत्तर प्रदेश)
*************************************************************************

हैदराबाद घटना-विशेष रचना…………..
क्यों सो रहे हो कृष्णा,कलयुग के इस आँगन में,
पनप रहे क्यों दुर्योधन,भारत माँ के आँचल में।
कहाँ गया सुदर्शन चक्र तुम्हारा,कहाँ गयी वो धार,
गीता के छंदों में क्या रहा नहीं चमत्कारll

क्या कोई बेटी खड़ी न हो सकेगी समाज में,
क्या गलती की है पुरुष को ला के संसार में।
क्या उन दरिदों को माँ-बहन नजर न आई थी,
आये भी कैसे,पौरुषता लिप्त है व्यभिचार मेंll

सरेराह लुट रही राधा,मीरा,द्रौपदी,
मानवता हार रही,दुष्टों के बाज़ार में।
यूँ ही लुटती रहीं माँ,बहन और बेटियाँ,
देर नहीं अब सृष्टि के विनाश मेंll

सृष्टि का मान बचाना है,माँ की गोद को पाना है,
जला के उन अंगों को,
जलाना होगा दुर्योधन को भरे बाजार में।
जगा के पौरुषता सोया कृष्ण जगाना होगा,
दर्द उस बेटी का दुष्टों को बताना होगा।
क्या कोई बचा नहीं है मर्द इस निकृष्ट समाज मेंll

न बहन,बेटी को बनाओ बंधक परिवार में,
जहाँ नहीं सुरक्षित बहन-बेटी,आग लगा दो ऐसे संसार में।
बेटियों को पंख दो,झाँसी की रानी पैदा होने दो,
वरना,जी के क्या करेगी बेटी ऐसे संसार मेंll

परिचय-गीतांजली वार्ष्णेय का साहित्यिक उपनामगीतू` है। जन्म तारीख २९ अक्तूबर १९७३ और जन्म स्थान-हाथरस है। वर्तमान में आपका बसेरा बरेली(उत्तर प्रदेश) में स्थाई रूप से है। हिन्दी-अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाली गीतांजली वार्ष्णेय ने एम.ए.,बी.एड. सहित विशेष बी.टी.सी. की शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में अध्यापन से जुड़ी होकर सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत महिला संगठन समूह का सहयोग करती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,लेख,कहानी तथा गीत है। ‘नर्मदा के रत्न’ एवं ‘साया’ सहित कईं सांझा संकलन में आपकी रचनाएँ आ चुकी हैं। इस क्षेत्र में आपको ५ सम्मान और पुरस्कार मिले हैं। गीतू की उपलब्धि-शहीद रत्न प्राप्ति है। लेखनी का उद्देश्य-साहित्यिक रुचि है। इनके पसंदीदा हिंदी लेखक-महादेवी वर्मा,जयशंकर प्रसाद,कबीर, तथा मैथिलीशरण गुप्त हैं। लेखन में प्रेरणापुंज-पापा हैं। विशेषज्ञता-कविता(मुक्त) है। हिंदी के लिए विचार-“हिंदी भाषा हमारी पहचान है,हमें हिंदी बोलने पर गर्व होना चाहिए,किन्तु आज हम अपने बच्चों को हिंदी के बजाय इंग्लिश बोलने पर जोर देते हैं।”

Leave a Reply