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बच्चों को उनकी मातृभाषा में न पढ़ाने से बड़ा कोई देशद्रोह नहीं

प्रो.जोगा सिंह विर्क

पटियाला(पंजाब)

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भारतीय भाषाओं की साझा चुनौतियाँ…………
देश के बच्चों को उनकी मातृ भाषा में न पढ़ाने से बड़ा कोई देशद्रोह नहीं हो सकता,क्योंकि जितनी बड़ी सर्वपक्षीय बर्बादी शिक्षा को विदेशी भाषा में करने से होती है,इतनी बड़ी बर्बादी और किसी तरह संभव नहीं हैं। और जिस समझ से यह नीति पैदा होती है,वह शिक्षा और भाषा मामलों के बारे में शत-प्रतिशत अज्ञानता से ही पैदा हो सकती है। आज के युग में जिस देश के कर्णधार शिक्षा के मामलों के बारे में शत-प्रतिशत अज्ञानी हों,उसके भविष्य का अंदाज़ा कोई मंद-बुद्धि व्यक्ति भी आसानी से लगा सकता है। विश्व में केवल दक्षिणी एशिया के देश ही ऐसे हैं,जहां शिक्षा में मातृ भाषा का आधार बढ़ने की बजाए कम हो रहा है। कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि, हमारी शिक्षण संस्थाएं दुनिया में सबसे निकम्मी शिक्षण संस्थाओं में हैं।
(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन,मुंबई)

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