बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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करूँ प्रतीक्षा आपकी,बन जाए कुछ बात।
सपनों में जगता रहा,दिन अरु सारी रात॥
मीठी-मीठी याद में, बीते सुबहो शाम।
प्रिये प्रतीक्षा मैं करूँ,जपता हूँ मैं नाम॥
आँखें मेरी थक गयी,देखूँ राह निहार।
आज प्रतीक्षारत रहा,पाने को मैं प्यार॥
दुनिया की हर चीज भी,फीकी पड़ती जाय।
तेरे बिन भाता नहीं,कोई समझ न आय॥
कब से व्याकुल है हृदय,मन को नहीं करार।
पल-पल बीते रैन भी,आ जाओ अब यार॥
कितना भारी काम है,देख प्रतीक्षा राह।
करो नहीं ऐ साथियों,कभी किसी की चाह॥