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हमें भी हक़ है

रौशनी अरोड़ा ‘रश्मि’ 

दिल्ली

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हक़ है,हक़ है,हक़ है! सुनो,
हम नारियों को भी हक़ है।

है हक हमें भी अपनी ज़िन्दगी
को आज़ादी से जीने का,
अपने ख़्वाबों को साकार,
करने का हमें भी हक़ है।

हक़ है,हक़ है,हक़ है!सुनो,
हम नारियों को भी हक़ है॥

है हक़ हमें भी जीवन में
जैसे चाहें वैसे जीने का,
हँसते-गाते यहाँ से वहाँ घूमने
का यारों हमें भी हक़ है।

हक़ है,हक़ है,हक़ है! सुनो,
हम नारियों को भी हक़ है॥

है हक़ हमें भी यारों ऊँचाईयों
को छू लेने का,खुले आसमान में,
पंछी-सा बनके कभी यहाँ तो
कभी वहाँ उड़ने का हमें भी हक़ है।

हक़ है,हक़ है,हक़ है! सुनो,
हम नारियों को भी हक़ है॥

है हक़ हमें भी अपनी प्रत्येक
इच्छा को पूरा करने का,
उनको सबके समक्ष रखने का
सुनो यारों हमें भी हक़ है।

हक़ है,हक़ है,हक़ है! सुनो,
हम नारियों को भी हक़ है॥

परिचय-रौशनी अरोड़ा का साहित्यिक नाम ‘रश्मि’ है। दिल्ली में ही निवासरत रश्मि की जन्म तारीख ६ दिसम्बर १९७८ है। लेखिका और गायिका रश्मि को दिल्ली में संगीत कार्यक्रम में गायिकी के लिए सम्मान प्राप्त हुआ है। आपकी रचनाएं दैनिक अखबारों-पत्रिका में प्रकाशित होती रहती हैं। आपको दिल्ली के कवि सम्मेलन तथा नोएडा से बज़्म-ए-हिंद संग्रह से भी सम्मानित किया गया है।

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