कुल पृष्ठ दर्शन : 441

You are currently viewing दिशा दशा को हुआ क्या ?

दिशा दशा को हुआ क्या ?

कृष्ण कुमार कश्यप
गरियाबंद (छत्तीसगढ़)

**************************************************

हमें थी उम्र लगी नाम जो कमाने में।
लगा है आज जमाना उसे मिटाने में।

छला है ख़ूब जिन्हें हम ख़ुदा समझते थे,
भला यकीन करें किस पे इस जमाने में।

निकाल फेंक दिए दर्द दिल के मैंने भी,
दिया था दर्द बहुत दिल को जो छिपाने में।

दिशा दशा को हुआ क्या है देश के प्यारों,
भटक रहा है युवा अब शराबखाने में।

क़दम बढ़ाने लगी आज आग नफरत की,
रखो कदम तो कभी आग तुम बुझाने में।

हुआ है हाल बुरा देश में गरीबों का,
बढ़ो कभी तो यहाँ तुम भी घर बचाने में।

बुझी है राख जो क्यूँ छेड़खानी है करता,
है वक्त लगता यहाँ एक घर बनाने में।

बस एक पल में घरौंदा न गिराओ मेरा,
मुझे है उम्र लगी घर मेरा बसाने में॥

परिचय-कृष्ण कुमार कश्यप की जन्म तारीख १७ फरवरी १९७८ और जन्म स्थान-उरमाल है। वर्तमान में ग्राम-पोस्ट-सरगीगुड़ा,जिला-गरियाबंद (छत्तीसगढ़) में निवास है। हिंदी, छत्तीसगढ़ी,उड़िया भाषा जानने वाले श्री कश्यप की शिक्षा बी.ए. एवं डी.एड. है। कार्यक्षेत्र में शिक्षक (नौकरी)होकर सभी सामाजिक गतिविधियों में सहभागिता करते हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी और लघुकथा है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचना प्रकाशित है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में साहित्य ग़ौरव सम्मान-२०१९, अज्ञेय लघु कथाकार सम्मान-२०१९ प्रमुख हैं। आप कई साहित्यिक मंच से जुड़े हुए हैं। अब विशेष उपलब्धि प्राप्त करने की अभिलाषा रखने वाले कृष्ण कुमार कश्यप की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा को जन-जन तक पहुंचाना है। इनकी दृष्टि में पसंदीदा हिंदी लेखक- मुंशी प्रेमचंद हैं तो प्रेरणापुंज-नाना जी हैं। जीवन लक्ष्य-अच्छा साहित्यकार बनकर साहित्य की सेवा करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“मेरा भारत सबसे महान है। हिंदी भाषा उसकी शान है।”

Leave a Reply