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तुम्हारा क्या नाम लिख दूं ?

अनिरुद्ध तिवारी
धनबाद (झारखंड)
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काव्य संग्रह हम और तुम से…

मेरी ग़ज़लों में,तुम्हारा,क्या नाम लिख दूं ?
पहर कौन-सा है ? सुबह लिखूं या शाम लिख दूं ?
कुछ बातें अधूरी,रह गई तख्त पर,
जो बची है,क्या सरेआम लिख दूं ?

रूह और जिस्म में,थोड़ा,फर्क तो कर लो,
तुम्हारा वो तिल या तुम्हारे ज़ज्बात लिख  दूं ? 

अभी तो इश्क का फूल खिला ही नहीं,
वो बिताए दिन लिखूं,या रात लिख दूं ?

मुखौटा न मैंने और न लगाया तुमने,
मेरी महफिल में,तुम्हारी शाम लिख दूं ?

तबस्सुम देखकर,यूँ फिसलते लोग यहां,
तुझे देखूं,और तुम्हारे अल्फा़ज लिख दूं ?

आब-ए-तल्ख तड़प रहा है ये दिल,
आफताब लिखूं या चाँदनी रात लिख दूं ?

उतर जाते हैं,दिल में,कुछ लोग इस कदर,
उन्हें अपना लिखूं,या किराया मकान लिख दूं॥

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