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जो सहते दर्द,वो बनते भगवान

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’
बरेली(उत्तरप्रदेश)
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बिना ऊँचा उठे कभी आसमान मिलता नहीं है,
बिन कर्म कभी जीत का ईनाम मिलता नहीं है।
भक्ति सेवा से ही मिलती कृपा ईश्वर की-
बिन दिल जीते कभी सम्मान मिलता नहीं है॥

सभी पत्थर होते दिखते एक समान हैं,
गूंगे-बहरे और साथ ही होते बेजुबान हैं।
प्राण-प्रतिष्ठा और पूजन से बस जाते हैं ईश्वर-
जो सहते दर्द तराशे जाने का वो बनते भगवान हैं॥

कर्मों से हाथ की लकीरें भी बदल जाती हैं,
कर्मों से ही शक्ल कल की निकल पाती है।
धैर्य-विवेक का परिचय मिले आपके हर काम में-
कोशिश करें तो मंजिल खुद पास चल आती है॥

जो कर लेता हर सुख-दुःख का आभास है,
वो हर परिस्थिति में हो जाता कामयाब है।
वह किस्मत को अपनी कभी दोष नहीं हैं देते-
जीने का अंदाज़ उनका होता हमेशा लाजवाब है॥

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