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शीत दिवस

तृप्ति तोमर `तृष्णा`
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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शीत दिवस में सबसे मनमोहक दिन,
खेलते,गुनगुनाते गुजर जाता पल प्रति दिन।
सबके अपने अलग हैं अनोखा आलम,
जैसे सारे ऋतुओं,रंगों का हो सुहावना संगम॥

शीत लहरों से दूर तक घिरा सारा मौसम,
बिखरे दिन-रात थोड़े सर्द-थोड़े गर्म।
गुलाबी रोशनी में सजते कई अदभुत नजारे,
कड़कड़ाती धूप में कोहरे का मनमुग्ध आलम॥

धुंआ-धुंआ-सा सुबह-शाम का मंजर,
खिली-खिली उजली किरणों का शिखर।
धूप-छांव के बीच लुका-छिपी का खेल,
मंद-मंद मुस्काती उम्दा फसलों की नजर॥

पीली-पीली सरसों की लहलहाती चादर,
नीले-नीले पानी से सराबोर समुंदर।
समुद्र की गहराई से गहराता आँचल,
एक छोर से दूसरे छोर तक फैला धरती अम्बर॥

परिचय-तृप्ति तोमर पेशेवर लेखिका नहीं है,पर प्रतियोगी छात्रा के रुप में जीवन के रिश्तों कॊ अच्छा समझती हैं।यही भावना इनकी रचनाओं में समझी जा सकती है। आपका  साहित्यिक उपनाम-तृष्णा है। जन्मतिथि २० जून १९८६ एवं जन्म स्थान-विदिशा(म.प्र.) है। वर्तमान में भोपाल के जनता नगर-करोंद में निवास है। प्रदेश के भोपाल से ताल्लुक रखने वाली तृप्ति की लेखन उम्र तो छोटी ही है,पर लिखने के शौक ने बस इन्हें जमा दिया है। एम.ए. और  पीजीडीसीए शिक्षित होकर फिलहाल डी.एलएड. जारी है। आप अधिकतर गीत लिखती हैं। एक साझा काव्य संग्रह में रचना प्रकाशन और सम्मान हुआ है। 

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