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शब्द यात्रा

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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आओ थाम लें,
पनाह दे अपने पहलू में
कुछ समय
इन लफ़्ज़ों को।
जो बेवजह भटक रहे हैं,
सदियों से खामोशियों में
उनकी इस भटकन को,
थोड़ा-सा विराम दें।
निकाल कर हृदय के,
अंर्तमन के लफ्जों को
पृष्ठ पर उतार दें,
आओ थाम लें…l
वर्षों की अनन्त यात्रा को,
अब एक पहचान दें
इन लफ़्ज़ों पर यह जो बर्फ-सी जमी है,
उसे पिघला कर झरने का नाम दें,
आओ थाम लें…l
ईश्वर ने रंगों से रचा है,यह संसार,
साहित्य की इस दुनिया को
शब्दों से रंग दें,
यह शब्द यात्रा है,इन्हें न विराम दें।
अपने हर शब्द में मिठास घोल दें,
न कड़वा बोलें
न शब्दों को रचने में कड़वाहट घोलें,
इसे हम बड़े प्रेम से संवार दें।
आओ जी लें अपनी भाषा को,
यह हिंदी है हमारी भाषाl
अपने आत्मा में उतार लें,
आओ थाम लें…ll

परिचय-डॉ. वंदना मिश्र का वर्तमान और स्थाई निवास मध्यप्रदेश के साहित्यिक जिले इन्दौर में है। उपनाम ‘मोहिनी’ से लेखन में सक्रिय डॉ. मिश्र की जन्म तारीख ४ अक्टूबर १९७२ और जन्म स्थान-भोपाल है। हिंदी का भाषा ज्ञान रखने वाली डॉ. मिश्र ने एम.ए. (हिन्दी),एम.फिल.(हिन्दी)व एम.एड.सहित पी-एच.डी. की शिक्षा ली है। आपका कार्य क्षेत्र-शिक्षण(नौकरी)है। लेखन विधा-कविता, लघुकथा और लेख है। आपकी रचनाओं का प्रकाशन कुछ पत्रिकाओं ओर समाचार पत्र में हुआ है। इनको ‘श्रेष्ठ शिक्षक’ सम्मान मिला है। आप ब्लॉग पर भी लिखती हैं। लेखनी का उद्देश्य-समाज की वर्तमान पृष्ठभूमि पर लिखना और समझना है। अम्रता प्रीतम को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाली ‘मोहिनी’ के प्रेरणापुंज-कृष्ण हैं। आपकी विशेषज्ञता-दूसरों को मदद करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिन्दी की पताका पूरे विश्व में लहराए।” डॉ. मिश्र का जीवन लक्ष्य-अच्छी पुस्तकें लिखना है।

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