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संसार

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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देख दशा संसार की,मन मेरा है रोय।
भाई-भाई लड़ मरे,प्रीत पराई होयll

आये हो संसार में,काम करो कुछ नेक।
मर कर हो जा तू अमर,ऐसा बनो विवेकll

माया यह संसार है,देख न जाना भूल।
मिले खूबसूरत कली,और मिले हैं शूलll

अपनी करनी कर चलो,माया है संसार।
भटक न जाना राह पर,जप लो श्री करतारll

जीवन नैया है चली,थामो निज पतवार।
प्रेम उदधि संसार है,भटक न जाना यारll
(इक दृष्टि यहाँ भी: उदधि=समुद्र)

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