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यक्ष-प्रश्न

संदीप ‘सरस’
सीतापुर(उत्तरप्रदेश)
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मैं अमरबेल-सा परजीवी,तुम पारिजात से वृक्ष बने।
मैं हूँ रसहीन अगीत किन्तु,तुम छन्दों के समकक्ष बने।

मैं हाथ जोड़कर उत्तर देता,धर्माश्रयी युधिष्ठिर सा,
तुम काम्यावन सरिता तट पर,प्रश्नोत्तर करते यक्ष बने।

तुम पांचाली-सा अट्टहास,मेरी पीड़ा दुर्योधन-सी,
मैं मृत्युञ्जय सा अभिशापित,तुम रथ का धँसता अक्ष बने।

मैं भीष्म सरीखा दृढ़प्रतिज्ञ,तुम शान्तनु जैसे कामातुर,
मैं पक्ष निहत्थे माधव-सा,तुम शकुनी-सा प्रतिपक्ष बने।

मैं राज्यसभा की सार्वजनिक,हूँ भीषण भीम प्रतिज्ञा-सा,
तुम युद्धभूमि में धूलधूसरित दुःशासन का वक्ष बने।

मैं राघव जैसा हूँ विनम्र,तुम दम्भी दुष्ट दशानन से,
मैं महादेव-सा मर्यादित,तुम अंतर्दाही दक्ष बने॥

परिचय-साहित्य जगत में संदीप मिश्र जाना-पहचाना नाम है,जो उत्तरप्रदेश के बिसवाँ(जिला-सीतापुर) में रहते हैंL सम्प्रति से कवि,साहित्यकार और समीक्षक के साथ ही संस्थापक-संयोजक(साहित्य मंच)तथा साहित्य सम्पादक (दैनिक समाचार-पत्र में) हैंL आपकी विशेष उपलब्धि कविता कोश व दोहा कोश में रचनाएँ सम्मिलित होना, राष्ट्रीय स्तर पर पत्र-पत्रिकाओं सहित टी.वी. चैनल,रेडियो से रचनाएं प्रकाशित-प्रसारित व पुरस्कृत होना हैL इनकी लेखन विधा-पद्य तथा गद्य भी हैL ५ जुलाई १९७५ को बिसवाँ में जन्मे श्री मिश्र ने एम.ए.(हिन्दी साहित्य)की शिक्षा हासिल की हैL प्रकाशन में आपके नाम-`कुछ ग़ज़लें कुछ गीत हमारे`(काव्य संकलन)तथा कई साझा संकलन भी हैंL ऐसे ही शीघ्र प्रकाश्य-गीत संग्रह एवं ग़ज़ल संग्रह आदि हैंL कार्यक्षेत्र-साहित्य तथा पत्रकारिता हैL कई अखबारों में नियमित स्तम्भ प्रकाशित कराते रहने तथा नियमित समीक्षा स्तम्भ में भी सौ से अधिक पुस्तकों की समीक्षा कर चुके `सरस` को सम्मान के निमित्त-उत्तर प्रदेश से बाल कविता हेतु पुरस्कृत(१९९४),साहित्य एवं पत्रकारिता के लिए पुरस्कृत (१९९६),साहित्य गौरव सम्मान(१९९७),सृजन सम्मान(१९९८),युवा कवि पुरस्कार(१९९९) तथा नेपाल द्वारा सन्त तुलसी स्मृति सम्मान(२०१९) सहित अन्य से भी सम्मानित किया गया हैL

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