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‘आनन्द-कही अनकही’ उपन्यास में सभी विधा के तत्व विद्यमान-युगेश शर्मा

डॉ. अरविन्द जैन के उपन्यास पर हुई समीक्षात्मक संगोष्ठी….
भोपाल(मध्यप्रदेश)।

मध्यप्रदेश तुलसी साहित्य अकादमी भोपाल के तत्वाधान में रचना पाठ और विमर्श के अंतरगत २७ दिसम्बर २०१९ को स्वराज्य भवन भोपाल में वरिष्ठ साहित्यकार एवं गीतकार यतीन्द्रनाथ राही की अध्यक्षता में
डॉ. अरविन्द जैन के उपन्यास ‘आनंद-कही अनकही’ पर समीक्षात्मक परिचर्चा एवं विमर्श किया गया। सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार घनश्याम सक्सेना के मुख्य आतिथ्य तथा वरिष्ठ साहित्यकार एवं समीक्षक युगेश शर्मा के विशेष आतिथ्य में डॉ. तिवारी ने इसकी समीक्षा की,और इस उपन्यास में सभी विधा के तत्व विद्यमान होना बताया।
कार्यक्रम में उपन्यासकार डॉ. अरविन्द जैन ने अपने उपन्यास ‘आंनद कही-अनकही’ के अंशों का वाचन किया गया,जिस पर वरिष्ठ साहित्यकार एवं समीक्षक युगेश शर्मा ने विस्तार से समीक्षा की। उन्होंने कहा कि,उपन्यास में उपन्यास की सभी विधा के तत्व विद्यमान हैं। डॉ. जैन ने आत्मकथ्यात्मक उपन्यास ‘आनंद कही अनकही’ के सम्बन्ध में कहा कि,कथावस्तु से लेकर भाषा-शैली,भाषा लालित्य,कहन-किस्सागोई,संवाद तादात्म्य अति रोचक बन पड़ा। उनके इस उपन्यास में राजनीतिक व्यंग्य,एवं समाज में व्याप्त कुरीतियों के प्रति कठोर प्रहार किया गया है,जो निश्चित रूप से एक स्वस्थ प्रबुद्ध जाग्रत समाज की अवधारणा को डिश प्रदान करता है। डॉ. जैन ने जिस दृढ़ता से अपनी बात कहने का प्रयास किया, उनके साहस,ज्ञान,विन्रमता,सहनशीलता के लिए बधाई देता हूँ।
श्री सक्सेना ने उपन्यास ‘आनंद कही अनकही’ को गद्य विधा की उत्कृष्ट कृति कहा,तो श्री राही ने कहा कि,उपन्यासकार द्वारा जिस बेबाकी से अपनी बात रखी, वह प्रशंसनीय है,और वर्तमान संदर्भ में यह उपयोगीऔर पठनीय है। डॉ. मोहन तिवारी संस्था प्रमुख ने सभी साहित्यकारों का आभार व्यक्त किया।

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