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श्रेय फिर किसको दोगे..

संजय जैन 
मुम्बई(महाराष्ट्र)

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गिरती हुई अर्थव्यवस्था,
को कौन बचाएगा ?
मरते हुए इंसान को,
कौन बचाएगा ?
यदि ऐसा ही चलता रहा,
तो देश डूब जाएगा।
और इसका श्रेय फिर,
किसको दोगे…॥

जब-जब भी अच्छा हुआ,
वो मेरी किस्मत थी।
अब बढ़ रही महंगाई,
तो ये किसी की किस्मत हुई!
और गिर रही है विश्व में साख,
तो इसका श्रेय किसको दोगे।
इसको तो आप ही बताओगे,
या फिर इसका दोष भी,
ओरों पर लगाओगे…ll

अब तक जो भी किया,
उन सब में असफल हो गए।
अच्छे दिनों की जगह,
बुरे दिनों में खुद ही फँस गए।
हाँ,देश में जाति कार्ड के,
जरूर ही नायक बन गए।
और इंसान को इंसान से,
लड़वाने में सफल हो गएll

बनी-बनाई अर्थव्यवस्था को,
चकनाचूर कर दिया।
और बड़बोलेपन से,
खुद ही नायक बन गए।
कितने बदजुबान हैं
जिम्मेदार लोग,
जो जहर ही उगलते हैं।
तभी तो विदेशों में जाकर,
गांधी को अपना आदर्श बताते हैं।
और अपने ही देश में,
उसे देशद्रोही बताते हैं।
और उसके हत्यारे का,
गुणगान करते हैंll

परिचय–संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।

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