ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
**************************************
आज ठंड प्रचंड है,
माघ माह उद्दंड है
हेकड़ी निकाल सभी,
रखे तोड़ घमंड है…।
हिम बने लोखंड है,
जम गए भू-खंड है
दिखाता है बर्फ भी,
रूप सफेद प्रचंड है।
गर्मी खंड-खंड है,
धुंध में मार्तंड है
सनन-सनन पवन चले,
लग रहा दे दंड है…।
कांपता बम्हाण्ड है,
किए बैठा कांड है
मुस्काए मंद-मंद,
पंडित वह प्रकांड है…।
सिगड़ी जुड़े झुंड है,
कम्बल ढके मुंड है
छिपाए हाथ-पाँव को,
सिकुड़े तुड़े तुंड है…।
शरीर हुआ कुंद है,
दिमाग रूंड-भुंड है
कंपकपी में बोल भी,
निकले अंड-सँड है…।
गृह नहीं सुरंग है,
चीखती बर बंड है।
जी चुराए काम से,
बैठा वह मुछंड है…॥
परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।