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आजादी संग मनेगी राखी

जसवंतलाल खटीक
राजसमन्द(राजस्थान)
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क्या अजीब संजोग मिला है,
आजादी संग मनेगी राखी।
तभी दिल में एक प्रश्न उठा है,
क्या आजादी अभी है बाकीll

कलाई सजेगी राखी से और,
तिरंगा गर्व से लहराएगा।
भाई-बहन के प्रेम गीत और,
हर व्यक्ति राष्ट्रगान गायेगाll

भाई देगा वचन बहना को,
मरते दम तक रक्षा काl
तिरंगा भी कर रहा पुकार,
अपने देश की सुरक्षा काll

आजादी हम मना रहे हैं पर,
इसके मायने भूल जाएंगे।
दो दिन की देशभक्ति है ये,
फिर पाप के रस्ते खुल जाएंगेll

आजाद देश का कटु सत्य,
सुरक्षित,बहू ना बेटी है।
सिर्फ दो दिन लहराता तिरंगा,
फिर इसकी जगह भी पेटी हैll

डर-डर कर जी रही बेटियां,
जो राखी भाई के बांधती है।
कैसे आजाद कहुँ मैं मित्रों,
जब मर्यादा सीमा लाँघती हैll

अपनी बहन,बहन होती है,
फिर दूसरी क्यूँ पराई है।
क्यों खेलता है जिंदगी से,
मूर्ख! तू भी किसी का भाई हैll

बलात्कार आम हो गए हैं,
और हत्या भी कर लेते हैं।
जीना दुश्वर हुआ बहनों का,
तो क्यों आजाद भारत कहते हैंll

बहनों जैसा हाल धरा का,
वो भी घुट-घुट कर जीती है।
आंतक और प्रदूषण से,
रोज खून के आँसू पीती हैll

आम मनुष्य भी फंसा हुआ है,
राजनीति के चक्रव्युह में।
फिर कैसे आजाद है भारत,
छल-कपट के कलयुग मेंll

इस आजादी की खातिर,
जो हँस कर फाँसी झूल गए।
राजनीति के नुमाइंदे सब,
उन देशभक्तों को भूल गएll

भूख की खातिर लटके रहे,
किसान कर्ज से हार गए।
कर्ज माफी का वादा कर,
कुछ नेता धन डकार गएll

मिलकर रहना आगे बढ़ना,
भारत देश की शान है।
हम सब हैं रखवाले वतन के,
भारत हमारी जान हैll

भाई-बहन के प्यार संग,
आजादी का पर्व मनाएंगे।
राखी और उपहार के संग,
आजादी के गीत गाएंगेll

परिचय-जसवंतलाल बोलीवाल (खटीक) की शिक्षा बी.टेक.(सी.एस.)है। आपका व्यवसाय किराना दुकान है। निवास गाँव-रतना का गुड़ा(जिला-राजसमन्द, राजस्थान)में है। काव्य गोष्ठी मंच-राजसमन्द से जुड़े हुए श्री खटीक पेशे से सॉफ्टवेयर अभियंता होकर कुछ साल तक उदयपुर में निजी संस्थान में सूचना तकनीकी प्रबंधक के पद पर कार्यरत रहे हैं। कुछ समय पहले ही आपने शौक से लेखन शुरू किया,और अब तक ६५ से ज्यादा कविता लिख ली हैं। हिंदी और राजस्थानी भाषा में रचनाएँ लिखते हैं। समसामयिक और वर्तमान परिस्थियों पर लिखने का शौक है। समय-समय पर समाजसेवा के अंतर्गत विद्यालय में बच्चों की मदद करता रहते हैं। इनकी रचनाएं कई पत्र-पत्रिकाओं में छपी हैं।

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