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श्रद्धा होनी चाहिए

जसवंतलाल खटीक
राजसमन्द(राजस्थान)
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श्रद्धा होनी चाहिए,
ज्यादा नहीं,पर थोड़ी तो होनी चाहिए।
कभी-कभी जब हम अंदर से टूट जाते हैं,
तब अंतर्मन को शक्ति दे दे…
ऐसे भगवान पर श्रद्धा होनी चाहिए।
ज्यादा नहीं,पर थोड़ी तो होनी चाहिए॥

भगवान जहाँ भी है,वो हमें देख रहे होंगे,
किसका,कब और कैसे
पेट भरना,वो सब अपनी डायरी में,
लिख रहे होंगे।
हमारी जीवन की नैया को पार लगाने के लिए,
तूफानों में भी पतवार दे दे…
ऐसे भगवान पर श्रद्धा होनी चाहिए।
ज्यादा नहीं,पर थोड़ी तो होनी चाहिए॥

कुछ भी कर,पर भगवान से डर,
इस भागदौड़ भरी जिंदगी में
हजारों ठोकरें मिलेंगी,लाखों धोखे मिलेंगे पर,
बड़ी से बड़ी मुसीबत को,पल में समेटकर
हमें सुकून का जीवन दे दे…
ऐसे भगवान पर श्रद्धा होनी चाहिए।
ज्यादा नहीं,पर थोड़ी तो होनी चाहिए॥

कभी-कभी तो यूँ लगता है,
इंसान थक जाता है,इस जिंदगी के सफर से।
पर दिल के कोने से जो आवाज आती है,
चल उठ,मत हो निराश
वो ईश्वर द्वारा अंतरआत्मा को दिया संकेत,
जो इंसान को नई जिंदगी दे दे…
ऐसे भगवान पर श्रद्धा होनी चाहिए।
ज्यादा नहीं,पर थोड़ी तो होनी चाहिए॥

जादू-टोने,भूत-प्रेत,
इन सबका कोई अस्तित्व नहीं
फिर भी इंसान वहम से,
इन सबका शिकार हो जाता है।
अपने-आपको इनका गुलाम मान लेता है,
तब सिर्फ भगवान के नाम का,धागा बाँध लेने से,
बुरी शक्तियों से हमें राहत दे दे…
ऐसे भगवान पर श्रद्धा होनी चाहिए।
ज्यादा नहीं,पर थोड़ी तो होनी चाहिए॥

पाला-पोसा,बड़ा किया,
इस जीवन रथ पर अनवरत चलना सिखाया।
धूप-छाँव,सुख-दुःख,
हरपल साथ निभाने वाले
ऐसे भगवान रूपी माँ-बाप जिनकी एक झलक,
चेहरे पर मुस्कान दे दे…
ऐसे भगवान पर श्रद्धा होनी चाहिए।
ज्यादा नहीं,पर थोड़ी तो होनी चाहिए,
श्रद्धा होनी चाहिए,
ज्यादा नहीं,पर थोड़ी तो होनी ही चाहिए॥

परिचय-जसवंतलाल बोलीवाल (खटीक) की शिक्षा बी.टेक.(सी.एस.)है। आपका व्यवसाय किराना दुकान है। निवास गाँव-रतना का गुड़ा(जिला-राजसमन्द, राजस्थान)में है। काव्य गोष्ठी मंच-राजसमन्द से जुड़े हुए श्री खटीक पेशे से सॉफ्टवेयर अभियंता होकर कुछ साल तक उदयपुर में निजी संस्थान में सूचना तकनीकी प्रबंधक के पद पर कार्यरत रहे हैं। कुछ समय पहले ही आपने शौक से लेखन शुरू किया,और अब तक ६५ से ज्यादा कविता लिख ली हैं। हिंदी और राजस्थानी भाषा में रचनाएँ लिखते हैं। समसामयिक और वर्तमान परिस्थियों पर लिखने का शौक है। समय-समय पर समाजसेवा के अंतर्गत विद्यालय में बच्चों की मदद करता रहते हैं। इनकी रचनाएं कई पत्र-पत्रिकाओं में छपी हैं।

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