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आत्मविश्वास

वीना सक्सेना
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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मैं ईर्ष्या हूँ,मेरी बड़ी बहन का नाम है निंदा,और छोटी का चुगली। हमारा एक भाई भी है जिसे हम प्यार से तनाव कहते हैंl हम चारों भाई- बहनों में बड़ा एका है,हम हमेशा कमजोर व्यक्तियों की तलाश में भटकते हैं। ऐसे व्यक्ति मिलते ही सबसे पहले मैं अपना ताना-बाना उसके चारों तरफ बुनती हूँ,मेरी मदद को मेरी बड़ी बहन निंदा हमेशा साथ रहती है। और यह चुलबुली छोटी बहन चुगली न जाने कब आ जाती है,पता ही नहीं चलता।
मुझे उन लोगों के साथ रहने में बड़ा मजा आता है,जिन्हें अपने ऊपर भरोसा नहीं होता,जो छोटी-मोटी सफलता मिलते ही घमंडी हो जाते हैं। जिनके पास स्वयं की कोई योग्यता तो नहीं होती,सिर्फ दूसरों के सहारे आगे बढ़ते हैं,और हर समय आशंकित रहते हैं,कि कोई उनसे आगे तो नहीं आ रहा है। और अगर,आगे आने की कोशिश कर रहा है,तो उसको धकेल कर पीछे करो।
मैं उन लोगों के साथ भी बड़ा आरामदायक महसूस करती हूँ,जिनके आसपास झूठी तारीफ करने वाले चमचे रहते हों। ऐसे चमचे जो कभी भी सच नहीं बोलते हों,जो कभी भी आत्मा विवेचन करने का मौका नहीं देते हैं,जो शब्दों के भ्रमजाल से व्यक्ति को बाहर नहीं निकलने देते होंl अब प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। स्वस्थ प्रतियोगिता तो रही नहीं,इसलिए सब हम बहनों का सहारा लेते हैं। वैसे महिलाओं की हम अच्छी सहेली हुआ करते हैं,परंतु पुरुष भी हमें अपना दोस्त बना रहे हैं,मेरे साथी वही होते हैं जिनमें यह सारी विशेषताएं पाई जाती हैं। जैसे उनका अपने-आपको महान समझना,जिन्हें मतलब के लिए मुँह में चासनी घोलकर बात करना आता हो। जो सामने से नहीं,पीछे से वार करना जानते हों,जो अपने गुणों से नहीं तिकड़म से आगे आए हैं,जिनकी जड़ें ना हों,जो अमरबेल की तरह दूसरों की प्रतिभा के सहारे ऊपर चढ़े हों। जो ना खुद शांति से बैठते हों,और ना दूसरों को बैठने देते हैं। कभी-कभी हमारा इकलौता भाई तनाव भी हमारे साथ आ जाता है। और वह भी बहुत चिपकू है,एक बार आ गया तो पीछा ही नहीं छोड़ता। ना सोने देता है,और ना जागने।
वैसे,हम चारों भाई-बहनों के आने के बाद आप सोच सकते हैं कि,व्यक्ति की जिंदगी क्या बन जाती होगीl हम अगर किसी से सबसे ज्यादा डरते हैं,तो वह है हमारा पड़ोसी आत्मविश्वास,क्योंकि उसके आ जाने के बाद हमारी दाल नहीं गलती। जिस व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास होगा,जिसे अपने- आप पर भरोसा होगा,उसके लिए कोई भी कार्य कठिन नहीं होगा,फिर वहां हमारा क्या काम भला…l

परिचय : श्रीमती वीना सक्सेना की पहचान इंदौर से मध्यप्रदेश तक में लेखिका और समाजसेविका की है।जन्मतिथि-२३ अक्टूबर एवं जन्म स्थान-सिकंदराराऊ (उत्तरप्रदेश)है। वर्तमान में इंदौर में ही रहती हैं। आप प्रदेश के अलावा अन्य प्रान्तों में भी २० से अधिक वर्ष से समाजसेवा में सक्रिय हैं। मन के भावों को कलम से अभिव्यक्ति देने में माहिर श्रीमती सक्सेना को कैदी महिलाओं औऱ फुटपाथी बच्चों को संस्कार शिक्षा देने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। आपने कई पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया है।आपकी रचनाएं अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुक़ी हैं। आप अच्छी साहित्यकार के साथ ही विश्वविद्यालय स्तर पर टेनिस टूर्नामेंट में चैम्पियन भी रही हैं। `कायस्थ गौरव` और `कायस्थ प्रतिभा` सम्मान से विशेष रूप से अंलकृत श्रीमती सक्सेना के कार्यक्रम आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर भी प्रसारित हुए हैं। कई पत्र-पत्रिकाओं में अनेक लेख प्रकाशित हो चुके हैंl आपका कार्यक्षेत्र-समाजसेवा है तथा सामजिक गतिविधि के तहत महिला समाज की कई इकाइयों में विभिन्न पदों पर कार्यरत हैंl उत्कृष्ट मंच संचालक होने के साथ ही बीएसएनएल, महिला उत्पीड़न समिति की सदस्य भी हैंl आपकी लेखन विधा खास तौर से लघुकथा हैl आपकी लेखनी का उद्देश्य-मन के भावों को अभिव्यक्ति देना हैl

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