नरेंद्र श्रीवास्तव
गाडरवारा( मध्यप्रदेश)
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बेताबी तो है,
कविता लिखने की
पर,
अभी नहीं लिखूँगा।
बहुत काम करने हैं-
दूध लेने जाना है,
बच्चे की फीस जमा करने
जाना है
मेरा एक पड़ोसी,
अस्पताल में भर्ती है
उसकी मदद करने के लिए जाना है,
कल दोपहर को गया था
तबसे अभी तक नहीं जा पाया हूँ।
ऐसे ही और भी काम हैं-
कविता लिखूँगा,
इत्मीनान से।
पहले,
मेरी जो जिम्मेदारियां हैं
उन्हें निपटाना जरूरी है,
उन्हें रोककर
कविता लिखना,
कविता और जिम्मेदारी
दोनों से,
बेइंसाफी होगी।
और,
बेपरवाही की
तब तो,
कुछ न कुछ
लिखने में छूट जाएगा।
जो कुछ होगा,
अपूर्ण होगा।
अस्पष्ट होगा,
इसी से बचना है॥