कुल पृष्ठ दर्शन : 271

You are currently viewing वीर शिशु

वीर शिशु

गोपाल चन्द्र मुखर्जी
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
******************************************

शहीद खुदीराम बोस बलिदान विशेष……

देश-दुनिया जब अश्रुपूरित नयन में-
आप हा-हा हँस रहे हो निर्भय से।
होगी आपको फांसी,नहीं जानते आप क्या-
ओ अग्निशिशु,फिर भी आपको नहीं है कोई चिंता।
विजय का दीप्तराग लगा है आपके चेहरे पर,
वीर शिशु आप,एकदम निडर।
जब आपकी खेलने की उम्र,हे शिशु भोला-
तब से आप खेल रहे हो लेकर अग्नि गोला।
जब बालक दादा-दादी के पास कहानी सुनते,
उस वक्त आप व्यस्त क्रांतिकारी के गुप्त बैठकों में।
भगिनी निवेदिता,अरोविंद ने पहचाना आपको-
यज्ञ की सप्तसमिध हो आप,मालूम रहा उनको।
सटीक रहा उन लोग का पूर्वानुमान,
भविष्य विश्व को मिला उसका प्रमाण।
निर्भीक बालक की वीर चाल से-
अंग्रेज शासक कांप उठे डर से।
नादान रहे आप जब खोए थे माता-पिता,
बड़ी बहन किए लालन-पालन,दी छत्र-छाया।
स्नेह नहीं मिला तो क्या क्षति हुई उसकी-
आज विश्व आपको दे रहा है अश्रुपूरित श्रद्धांजलि॥

परिचय-गोपाल चन्द्र मुखर्जी का बसेरा जिला -बिलासपुर (छत्तीसगढ़)में है। आपका जन्म २ जून १९५४ को कोलकाता में हुआ है। स्थाई रुप से छत्तीसगढ़ में ही निवासरत श्री मुखर्जी को बंगला,हिंदी एवं अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। पूर्णतः शिक्षित गोपाल जी का कार्यक्षेत्र-नागरिकों के हित में विभिन्न मुद्दों पर समाजसेवा है,जबकि सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत सामाजिक उन्नयन में सक्रियता हैं। लेखन विधा आलेख व कविता है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में साहित्य के क्षेत्र में ‘साहित्य श्री’ सम्मान,सेरा (श्रेष्ठ) साहित्यिक सम्मान,जातीय कवि परिषद(ढाका) से २ बार सेरा सम्मान प्राप्त हुआ है। इसके अलावा देश-विदेश की विभिन्न संस्थाओं से प्रशस्ति-पत्र एवं सम्मान और छग शासन से २०१६ में गणतंत्र दिवस पर उत्कृष्ट समाज सेवा मूलक कार्यों के लिए प्रशस्ति-पत्र एवं सम्मान मिला है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-समाज और भविष्य की पीढ़ी को देश की उन विभूतियों से अवगत कराना है,जिन्होंने देश या समाज के लिए कीर्ति प्राप्त की है। मुंशी प्रेमचंद को पसंदीदा हिन्दी लेखक और उत्साह को ही प्रेरणापुंज मानने वाले श्री मुखर्जी के देश व हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिंदी भाषा एक बेहद सहजबोध,सरल एवं सर्वजन प्रिय भाषा है। अंग्रेज शासन के पूर्व से ही बंगाल में भी हिंदी भाषा का आदर है। सम्पूर्ण देश में अधिक बोलने एवं समझने वाली भाषा हिंदी है, जिसे सम्मान और अधिक प्रचारित करना सबकी जिम्मेवारी है।” आपका जीवन लक्ष्य-सामाजिक उन्नयन है।

Leave a Reply