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करनी पड़ेगी चिंता

अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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‘विश्व पृथ्वी दिवस (२२ अप्रैल)’ विशेष…

‘पृथ्वी’,
अनमोल तत्व
करनी पड़ेगी चिंता,
वरना संकट
जीवन।

‘पृथ्वी’,
बचाना है
जल, जंगल, जमीन,
जीवन कीमती
समझो।

‘पृथ्वी’,
तत्व घटेंगे
जीव-जंतु तड़पेंगें,
साँस छूटेगी
मौत।

‘पृथ्वी’,
जागरूकता जरूरी
‘विश्व पृथ्वी दिवस’,
पिघलती बर्फ
जागो।

‘पृथ्वी’,
संकट गहराया
‘ओजोन’ परत छेद,
भयंकर तूफान,
‘सुनामी।’

‘पृथ्वी’,
प्रकृति कीमती
समस्या हुई विकराल,
मनुष्य जिम्मेदार
भविष्य।

‘पृथ्वी’,
दर्जा ‘माँ’
करते रोज प्रदूषित,
जलवायु संकट
अस्तित्व।

‘पृथ्वी’,
सुन्दर जीवन
आकाश-जल-अग्नि,
दुरूपयोग क्यों ?
चिंतन।

‘पृथ्वी’,
मिटेगा पानी
बस जीवन ‘कहानी’,
विलुप्त हवा
यमराज।

‘पृथ्वी’,
स्वार्थ छोड़ो
सहज-सरल रहो।
उपयोग करो,
कम॥