श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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शरण में आ गई हूँ मैं, हे कर्मफल के महादानी दाता,
चरण वन्दना करती हूँ मैं, स्वीकार करिए हे विधाता।
अज्ञानी मूरख नार, धर्म-कर्म कुछ नहीं जानती हूँ,
दया करो कर्मफल दाता, आपसे आशीष माँगती हूँ।
बीत रही आयु हमारी लोभ, मोह क्रोध जाल में पड़कर,
माया बन्धन से कराओ मुक्त, रखा है मुझे जकड़ कर।
अज्ञानता वश, धर्म भूलकर दूसरों को ज्ञान बांटते रहे,
गुरु ज्ञान परखा नहीं जो, श्रीगुरु चेतावनी हमें देते रहे।
रोग-शौक से मैं पीड़ित हो गया हूँ, संभालिए मुझको,
शुभ कर्म फल के लिए हे दाता, मैं पुकारती हूँ तुझको।
मैं अधम नीच, पापी दरिद्रता से भरा हुआ हमारा पेट है,
जगत में प्रसिद्ध आप, कर्मफल के महादाता सेठ हैं।
हे कर्मफलदाता आप तीनों लोक के स्वामी, फल देने में
हे दाता कमी नहीं करिए, देवन्ती को शुभ कल देने में।
आपके शुभ कर्मफल के सौभाग्य से मैं स्वर्ग में रहूँगी,
हे कर्मफल दाता शुभ फल नहीं मिला, तो नर्क में रहूँगी॥
परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है