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कर्म ही सफलता का मन्त्र

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’
बरेली(उत्तरप्रदेश)
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घना कोहरा आगे अंधेरा,नज़र कुछआता न हो,
हो अवसाद व तनाव और कुछ भाता न हो।
पर मत सोचना फिर भी नकारात्मक विचार-
जो सकारात्मक ऊर्जा जीवन में लाता न हो॥

आपकी सोच-विचार ऊर्जा,जीत आधार बनती है,
आपकी उचित जीवन-शैली,कारगर बनती है।
कर्म ही पूजा,कर्म ही मन्त्र है सफलता का-
उत्साह से ही जाकर जिंदगी शानदार बनती है॥

संकल्प,दृढ़ दृष्टिकोण हों,जीवन के प्रमुख अंग,
अनुशासनहीनता हो तो लग जाती है जंग।
सतत कोशिश और बार-बार का करना अभ्यास-
निरंतर प्रयास हो और कभी ध्यान नहीं हो भंग।

जीवन एक कर्मशाला,जगहे ऐशो-आराम नहीं है,
है यह संघर्ष का तपोवन,कोई घृणा का मैदान नहीं है।
मत पलायन से बदनाम कर,इस अनमोल जीवन को-
बिना पूरे किये सरोकार,जीवन का उतरता एहसान नहीं है॥

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