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काश! तुम होते

डॉ.समृद्धि शर्मा
जयपुर(राजस्थान)
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आज उदास है दिल बहुत,
काश! तुम होते मेरे पास
तो कह देती अपनी तमाम अनकही बातें तुम्हें…
ये सोचकर,कि अब ये मेरी फिक्र नहीं,बल्कि तुम्हारी हैl

काश तुम होते मेरे पास…
तो ये शाम,जो आज उदास है बहुत,
वो तेरी बाँहों के घेरे में सुरमई हो उठती
जो चाँद निकला है न बदली की ओट से,
वो तुम्हारी चौड़ी छाती पर सर रखकर देखने से,
और खूबसूरत हो जाताl

काश! तुम होते मेरे पास…
तो घंटों बतियाती,फिर यूँ ही इठलाकर रुठ कर चली जाती,
मना लेते तुम,मालूम था मुझे
खींच लेते अपनी ओर,
जड़ देते चुम्बन मेरे माथे पर
तो क्या मैं रुठ पाती…!

काश! तुम होते मेरे पास…
तो बारिश की टपकती बूंदों को जानबूझ कर प्याले में गिरने देती,
बिखरने देती अपनी अनसुलझी लटों को
तो तुम मुस्कुराकर,
चुपके से निहार कर अपनी उंगलियों के पोरों पर
घुमाकर पीछे कर देते,
पर आज तुम नहीं हो
उन सब यादों के लिये,
मेरे ख्यालों,मेरे अहसासों,मेरी रूह तक में हो
पर बस पास नहीं हो मेरेl

काश! तुम होते मेरे पास…
मैं ढूँढती हूँ तुम्हारे शरीर,तुम्हारी सिगरेट की वो गंध,
जो बस गई है मेरी साँसों की गहराई में…
आज भी तुम्हारी शीत-सी ठंडी उंगलियों की छुअन,
महसूस होती है मुझे
तब एक नशा-सा छा जाता है मुझ पर,
पर इन अहसासों के लिये
काश! तुम होते मेरे पासl

मैं आज भी जब कोई कहानी या कविता के ताने-बाने बुनती हूँ
तो नायक तुम और नायिका मैं खुद ही तो पाती हूँ,
हाँ! अब चाय छोड़ दी मैंने,फिल्में भी कम ही देख पाती हूँ
घंटों एकांत में ताका करती हूँ,
वो तमाम चीजें करती हूँ
जो तुम सिर्फ तुम करते थे,
फिर भी
तुम्हारी कमी दूर नहीं कर पाती हूँ,
आज काश…!
काश! कि,फिर तुम होते मेरे पास…ll

परिचय–डॉ.समृद्धि शर्मा की जन्मतिथि -२० नवम्बर १९८१ है। राजस्थान राज्य के जयपुर में टोंक मार्ग पर आपका निवास है। आपकी शिक्षा विद्या वारिधि (पी.एच-डी),अधिस्नातक (हिंदी)तथा स्नातक (हिंदी प्रतिष्ठा)है। निजी शाला में हिन्दी अध्यापिका आपकी सम्प्रति है।डॉ.शर्मा की सम्मान-उपलब्धियां देखें तो राजस्थान के प्रसिद्ध पत्र में कहानियों का निरंतर प्रकाशन और जयपुर में शोध-पत्र प्रकाशन होना है। ऐसे ही विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन जारी है। दूरदर्शन व आकाशवाणी में भी  सहभागिता करती हैं। सांझा काव्य संग्रह ‘शब्द मुखर हैं’ में रचना प्रकाशन हुआ है। आपको काव्य सम्पर्क सम्मान मिला है। 

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