डॉ. मुकेश ‘असीमित’
गंगापुर सिटी (राजस्थान)
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शहर के बीचों-बीच एक नया ‘बाज़ार’ खुला है-नाम है ‘गालियों का बाज़ार।’ यहाँ सब कुछ बिकता है-आत्मा का सौंदर्य छोड़कर।
कहने को तो यह भाषाई स्वतंत्रता का सशक्त मंच है, लेकिन असल में यह सुनियोजित मौखिक युद्ध क्षेत्र है, जहाँ शब्द तलवार बनते हैं और जुबानें बंदूक की ट्रिगर। यहाँ कोई ग्राहक नहीं, सब दुकानदार हैं-अपनी-अपनी गाली की दुकान सजाए।
गाली देना अब कला नहीं, कैरियर ऑप्शन हो गया है-
“गाली देने में पीएच.डी.” वाले यहाँ वीआईपी जोन में बैठते हैं।
इस बाज़ार के नियम बड़े अनोखे हैं-
“कृपया शालीन भाषा का प्रयोग न करें”
“यहाँ तर्क कम, तापमान अधिक बिकता है”
“गालियों के आदान-प्रदान में सीनियर सिटीजन को प्राथमिकता दें”
हर गाली यहाँ एक ब्रांड है-
देशभक्ति गाली, धर्मप्रेमी गाली, राजनीतिक गाली, जातिसूचक गाली, बोल-चाल की गाली और
“माँ-बहिन की गाली” जैसी बहुउपयोगी गालियाँ तो वन प्लस वन ऑफर में मिलती हैं।
यहाँ मॉर्निंग वॉक पर निकले अंकल भी लुढ़कते-बहकते गले से ‘देशद्रोही’ चिल्ला रहे हैं, और बिल्डिंग की बालकनी से बहस झोंकने वाली आंटी “गद्दारों को गोली मारो…” का अलाप कर रही हैं।
गली-गली, मोहल्ले-मोहल्ले में ‘डिबेट’ के नाम पर कुर्ता फाड़ कुश्ती चल रही है। नज़रें लाल, मुट्ठियाँ तनी और जुबानें फूली-
जैसे कोई गाली न हो, राष्ट्रधर्म हो जिसे निभाना ज़रूरी हो।
इधर, भीड़ में एक आदमी चिल्ला रहा है*
“मुझसे मत उलझो, मैं ५ हजार गालियाँ बिना रुके दे सकता हूँ…!”
दूसरा कहता है-“और मैं हर गाली को तर्क का लिबास पहना सकता हूँ।”
एक गाली देने वाले ने अपना यू-ट्यूब चैनल खोल लिया है,
नाम है “मातृभाषा संरक्षण”,
डिस्क्लेमर में लिखा है-“यह चैनल सिर्फ मनोरंजन हेतु है, कृपया इसे दिल पर न लें… मुँह पर लें।”
राजनीतिक पार्टियों ने भी अपने-अपने गाली प्रवक्ता नियुक्त कर लिए हैं-
मोर्चे से लड़ते हैं,
संविधान के आर्टिकल १९(१)(ए) को ढाल बनाकर।
अब गाली देना अश्लीलता नहीं, आई.टी. सेल की नीति बन चुका है।
जहाँ गालियाँ मुद्दों की माँ-बहन कर,
मूल विषय से जनता का ध्यान भटकाती हैं।
कोई आश्चर्य नहीं कि कल कोई एन.जी.ओ. गालियों के संरक्षण के लिए गालियों पर उतर आए “गाली हमारी सांस्कृतिक विरासत है।”
जो चुप है, वह संदेह के घेरे में है।
जो बोलता है, वह ‘कमीने पक्ष’ का एजेंट है।
जो सवाल करता है, वह ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ है।
और जो गाली नहीं देता-
वह शायद इस देश के ‘पुराने संस्करण’ का नागरिक है, जिसे अपग्रेड करने की सख्त जरूरत है।