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गीता दिवस पर हुई आभासी काव्य गोष्ठी

टीकमगढ़ (मप्र)।

अखिल भारतीय साहित्य परिषद (टीकमगढ़) एवं हिंदी साहित्य भारती (टीकमगढ़) की संयुक्त आभासी काव्य गोष्ठी ‘गीता दिवस’ के उपलक्ष में ‘श्रीमद् भगवत गीता’ पर रविवार को हुई। इसकी अध्यक्षता पूरन चंद्र गुप्ता ‘पूरन’ (संभागीय उपाध्यक्ष-परिषद संभाग सागर एवं संरक्षक) ने की। मुख्य अतिथि डॉ. मोहन तिवारी आनंद (राष्ट्रीय अध्यक्ष-तुलसी साहित्य अकादमी, भोपाल) रहे।
गोष्ठी के विशिष्ट अतिथि पं. बाबूलाल द्विवेदी एवं डॉ. आरपी तिवारी ‘राजेंद्र’ (संरक्षक) रहे। सरस्वती वंदना डॉ. लीना कुलथिया ने संगीत की लय में सुनाई। गोष्ठी में सभी कवियों ने उक्त विषय पर अपने भाव प्रकट किए। डॉ. मैथिली शरण श्रीवास्तव ने कहा “पार्थ धरें धनुष और बान। श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया गीता का ज्ञान॥”, श्रीमती आशा रिछारिया ने “फिर आज आ जाओ मेरी अर्ज में। मैं तेरे गीत गाऊँ मोर मुकुट धारी की तर्ज में॥” डॉ. तिवारी ‘राजेंद्र’ ने “आए हैं परम मोक्ष के द्वार, प्रकृति का अवलंबन स्वीकार॥” की प्रस्तुति दी। पूरन चंद्र गुप्ता, मीनू गुप्ता, श्रीमती रश्मि गोयल तथा डॉ. अशोक तिवारी ‘अमन’ आदि ने भी श्रीमद्भगवत गीता में भगवान की शिक्षा पर अपनी भावना व्यक्त की।

गोष्ठी का संचालन श्रीमती मीनू गुप्ता ‘मीनू’ (अध्यक्ष, टीकमगढ) द्वारा किया गया। आभार श्रीमती रश्मि गोयल (जिलाध्यक्ष-हिंदी साहित्य भारती) ने प्रकट किया।