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तारा चमका भाग्य से

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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तारा चमका भाग्य से, देखे स्वप्न हजार।
मन में उठी उमंग अब, जीवन छाय बहार॥
जीवन छाय बहार, मजा हर पल है मिलता।
कलियों-सी मुस्कान, फूल आँगन में खिलता॥
कहे ‘विनायक राज’, जगत हो सुखमय सारा।
देखो नई प्रभात, भोर का चमका तारा॥

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